बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने रामसेतु मामले में अपना पक्ष रखने के लिए केंद्र सरकार को 6 हफ्ते का समय दिया है.
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने आज रामसेतू मामले में सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को इस मामले में अपना पक्ष रखने के लिए 6 हफ़्तों का समय दिया है. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा था. याचिकाकर्ता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि केंद्र सरकार बार बार समय मांग रही है, जबकि संसद में इन्होंने बयान दिया था कि राम सेतु को किसी भी प्रकार से की नुकसान नही पहुँचाया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में कहा था कि अगर कोई रामसेतू को छुएगा तो तुरंत सुनवाई करेंगे. लेकिन फिलहाल इस मामले में जल्द सुनवाई करने की जरूरत नहीं है. पहले केंद्र को इस मामले में अपना जवाब दाखिल करना चाहिए. वहीं सुब्रमण्यम सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि केंद्र सरकार रामसेतू को बनाए रखेगी और इसे राष्ट्रीय सम्पत्ति घोषित किया जाए. इस मामले में केंद्र ने जवाब दाखिल करने के लिए वक्त मांगा था.
इससे पहले बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने रामसेतु मामले में सरकार को अपना दृष्टिकोण स्पष्ट करने का निर्देश देने के लिये दायर अर्जी पर शीघ्र सुनवाई की मांग की थी. मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति सी पंत और न्यायमूर्ति डीवाई चन्द्रचूड की तीन सदस्यीय खंडपीठ के सामने बीजेपी सांसद ने अर्जी पर शीघ्र सुनवाई का अनुरोध किया था। इस पर पीठ ने कहा कि इसमें सरकार को पहले हलफनामा दाखिल करना चाहिए. इससे पूर्व जब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने सितंबर 2007 में उच्चतम न्यायालय में दाखिल अपने हलफनामे में रामायण में उल्लिखित पौराणिक चरित्रों के अस्तित्व पर ही सवालिया निशान लगा दिए थे, जिसे हिंदू भावनाओं को ठेस पहुंचाना माना गया.
बता दें कि 14 दिसंबर 1966 को जेमिनी-11 उपग्रह से तस्वीर ली गई थी. नासा ने सैटेलाइट इमेज से भारत और श्रीलंका को समुद्र में जोड़ती एक पतली रेखा की तस्वीर जारी की थी. तस्वीर में धनुषकोटि से जाफना तक द्वीपों की पतली सी रेखा मिली थी. उसके बाद आई.एस.एस-1 ए ने रामेश्वरम और जाफना द्वीपों के बीच उथली चट्टानों की श्रृंखला का पता लगाया था. साल 1993 में नासा के इस तस्वीर को जारी करने के बाद इसे रामसेतु कहा जाने लगा. हालांकि, कुछ वैज्ञानिक इसे प्राकृतिक पुल कहते हैं तो पौराणिक मान्यता इसे रामसेतु पुकारती है.
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