सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को एक वृहद पीठ के पास भेजने के मामले पर एक प्राथमिक मुद्दे के रूप में विचार करने से मंगलवार को इंकार कर दिया. न्यायालय ने हालांकि यह भी स्पष्ट किया कि आयोग की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के बाद यदि उसे लगता है कि इसे वृहद पीठ के पास भेजने की आवश्यकता है तो वह ऐसा कर सकता है.
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को एक वृहद पीठ के पास भेजने के मामले पर एक प्राथमिक मुद्दे के रूप में विचार करने से मंगलवार को इंकार कर दिया. न्यायालय ने हालांकि यह भी स्पष्ट किया कि आयोग की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के बाद यदि उसे लगता है कि इसे वृहद पीठ के पास भेजने की आवश्यकता है तो वह ऐसा कर सकता है.
संविधान पीठ ने एक अंतरिम आदेश के जरिए सरकार को उन अतिरिक्त न्यायाधीशों की सेवा की अवधि तीन माह या सेवानिवृत्ति की तिथि तक, जो भी पहले हो बढ़ाने का निर्देश दिया, जिनका दो साल का कार्यकाल इन याचिकाओं की सुनवाई के दौरान पूरा होता है. न्यायमूर्ति जगदीश सिंह खेहर की अध्यक्षता वाली न्यायालय की संविधान पीठ ने अपने अंतरिम आदेश में कहा, “महान्यायवादी की अपील खारिज की जाती है, जिसमें उन्होंने मुख्य मामले की सुनवाई से पहले वर्ष 1993 और 1998 के न्यायालय के दो निर्णयों की समीक्षा की आवश्यकता प्राथमिक तौर पर जताई है.”
IANS