J&K: उप मुख्यमंत्री निर्मल सिंह के राजनीतिक सफर पर एक नज़र

जम्मू कश्मीर के तत्कालीन महाराजा हरी सिंह के सुरक्षाकर्मी के पुत्र और इतिहास में डॉक्टरेट डिग्रीधारी निर्मल सिंह ने आज दूसरी बार प्रदेश के उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. बीजेपी के निर्मल सिंह के लिए जम्मू कश्मीर की सत्ता तक पहुंचने का यह सफर काफी लंबा रहा है.

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J&K: उप मुख्यमंत्री निर्मल सिंह के राजनीतिक सफर पर एक नज़र

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  • April 5, 2016 6:25 am Asia/KolkataIST, Updated 9 years ago

नई दिल्ली. जम्मू कश्मीर के तत्कालीन महाराजा हरी सिंह के सुरक्षाकर्मी के पुत्र और इतिहास में डॉक्टरेट डिग्रीधारी निर्मल सिंह ने आज दूसरी बार प्रदेश के उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. बीजेपी के निर्मल सिंह के लिए जम्मू कश्मीर की सत्ता तक पहुंचने का यह सफर काफी लंबा रहा है.

पिछले लोकसभा चुनाव में टिकट बंटवारे में निराशा झेलने के उपरांत पिछले साल बीजेपी और पीडीपी गठबंधन की सरकार बनने के बाद उप मुख्यमंत्री पद के लिए सिंह बीजेपी की सर्वसम्मत राय बनकर उभरे थे.

तत्कालीन मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद के निधन के बाद दोनों गठबंधन दल सरकार बनाने में नाकाम रहे थे जिसके बाद राज्य में राज्यपाल का शासन लगा दिया गया था. लेकिन महबूबा मुफ्ती की नयी दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ हुई मुलाकात के बाद दोनों दलों ने सरकार बनाने का फैसला किया था और सिंह एक बार फिर से उप मुख्यमंत्री पद के लिए बीजेपी के सर्वसम्मत उम्मीदवार के रूप में सामने आए.

सिंह ने पिछले 25 सालों में कई बार लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़ा लेकिन जीत के लिए उन्हें 2014 तक का इंतजार करना पड़ा.

60 वर्षीय सिंह ने अपना पहला विधानसभा चुनाव कांग्रेस के विधायक मनोहर लाल शर्मा को करीब 18 हजार वोटों के अंतर से हराकर कठुआ जिले की बिलावर सीट से जीता था. सिंह के पिता राज्य के तत्कालीन महाराजा के सुरक्षा दस्ते में शामिल थे.

जम्मू विश्वविद्यालय में इतिहास के प्रोफेसर कठुआ तहसील के बशोली क्षेत्र में करानवाड़ा. साबर इलाके से ताल्लुक रखते हैं. सिंह ने 1988 में जम्मू विवि से इतिहास में पीएचडी की थी और विधानसभा में चुने जाने से पहले तक वह इसी विवि में इतिहास के प्रोफेसर के तौर पर अपनी सेवाएं दे रहे थे.

लंबे समय तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के समर्थक रहे बीजेपी नेता निर्मल सिंह को जम्मू क्षेत्र में पार्टी के उत्थान का श्रेय दिया जाता है . सिंह ने काफी छोटी उम्र में ही राजनीतिक गतिविधियों में रूचि लेनी शुरू कर दी थी.

1975 में आपातकाल के दौरान उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था. वर्ष 2014 में वह डोडा उधमपुर लोकसभा सीट के लिए बीजेपी के तगड़े दावेदारों में शामिल थे लेकिन जितेन्द्र सिंह से उन्हें मात खानी पड़ी.

इसके बाद लोकसभा चुनाव से पूर्व वह सुखिर्यों से दूर रहे लेकिन जम्मू कश्मीर प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाए जाने के बाद उन्होंने पूरे जोश के साथ काम किया. सिंह का जन्म 22 जनवरी 1956 को कठुआ जिले के करानवाड़ा. बसोली क्षेत्र में एक विनम्र परिवार में हुआ था. वह अपने परिवार में तीन भाइयों में सबसे छोटे हैं.

देश के विभिन्न भागों में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के लिए काम करने के बाद सिंह जम्मू लौट आए और जम्मू विवि के इतिहास विभाग में बतौर व्याख्याता काम करने लगे. उन्हें 1998 में प्रदेश बीजेपी महासचिव बनाया गया था.

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