असम में विधानसभा चुनाव से पहले वहां चाय की सियासत एक बार फिर गर्म है. जिसका सीधा सरोकार चाय बागानों में काम करनेवाले हजारों मजदूरों से है. जिस चाय की चुस्की से हर सुस्ती दूर हो जाती है. जिस चाय के जायके से हमारी सेहत का स्वाद बदल जाता है. वो चाय, बागानों से निकलकर हमारे आपके किचन तक मजदूरों की मेहनत से ही पहुंचती है. लेकिन हमारी और आपकी चुस्ती-फुर्ती का ख्याल रखने वाले चाय बागानों के मजदूर खुद किस हालत में जी रहे हैं. इस बारे में कोई नहीं जानता.