नई दिल्ली. सोशल मीडिया पर वायरल नाइजीरिया में भुखमरी से बेहाल दो साल बच्चे की हालत अब काफी सुधर चुकी है. इस बच्चे का नाम होप है, लेकिन स्थानीय लोग उसे शैतान बताकर उस पर अत्याचार कर रहे थे. ‘होप’ को उसके परिवार वाले शैतान समझते थे. इसलिए उन्होंने उसे सड़क पर छोड़ दिया था. भूख से काफी कमजोर हो चुके होप की तस्वीर जनवरी में पूरी दुनिया में वायरल हो गई थी. इस तस्वीर में डेनमार्क की एंजा उसे पानी पिलाती दिख रही हैं.
अफ्रीका में रह रहीं डेनमार्क की मानवाधिकार कार्यकर्ता एंजा रिंग्रीन को पिछले साल 31 जनवरी को एकेया में यह बच्चा मिला. उस वक्त होप की हालत काफी खराब थी. एंजा उसे अपने साथ ले आई थी. लेकिन होप को लाने के लिए एंजा को लोकल लोगों को काफी कैश देना पड़ा.
एंजा ने ही दिया उसे ‘होप’ नाम
एंजा ने उसे अपने एनजीओ लाकर उसे ‘होप’ नाम दिया था. जिसके बाद उसको गोद में लेकर पानी पिलाया और उसको नहलाया, शरीर पर मेडिसिन लगाई. एंजा ने होप के खाने-पीने से लेकर चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराईं. जिसके बाद कुपोषण के शिकार रहे इस बच्चे ने कई किलो वजन बढ़ा लिया है और वह अब स्वस्थय और खुश नजर आ रहा है. इसके अलावा दुनियाभर के लोगों ने होप के मंहगे मेडिकल बिलों के लिए साढ़े छह करोड़ रुपए डोनेट भी किए.
होप के शरीर पर पड़ चुके थे कीड़े
जिस वक्त एंजा को यह बच्चा मिला था उस वक्त होप कुपोषण का शिकार हो चुका था और उसके शरीर पर कीड़े पड़ चुके थे. होप पिछले 8 महीनों से भूख-प्यास से तड़पते हुए सड़कों पर भटक रहा था. आसपास के लोग भी उसे शैतान बताकर टॉर्चर कर रहे थे. वे उसे पत्थर भी मारते थे. इतना ही नहीं खाना नहीं मिलने के कारण वह कंकाल जैसा हो गया था.
होप की कई नई तस्वीरें शेयर
एंजा ने होप की कई नई तस्वीरें शेयर की हैं, जिनमें उसकी हालत काफी सुधरी हुई नजर आ रही है.एक फोटो के साथ एंजा ने लिखा था ‘ जिस दिन मैंने इस प्याकर से बच्चेज को पहली बार अपनी बांहों में लिया मुझे यह लगा था कि वह जिंदा नहीं रहेगा. हर सांस के साथ उसका संघर्ष था और मैं नहीं चाहती थी कि वह बिना अस्तित्व , नाम के इस दुनिया से चला जाए. इसलिए मैंने उसका नाम ‘होप’ रखा. मेरे लिए होप एक खास नाम है. कई साल पहले मैंने ‘होप’ टैटू अपनी अंगुलियों पर गुदवाया था क्यों कि इसका मतलब है ‘हेल्पा वन परसन एवरीडे’.
कौन हैं एंजा
आपको बता दें कि एंजा अफ्रीकन चिल्ड्रन्स एंड एजुकेशन एंड डेवलपमेंट फाउंडेशन की फाउंडर हैं. यह फाउंडेशन भुखमरी और एब्यूज के शिकार बच्चों को बचाने का काम करती है. रिपोर्ट के अनुसार इस बच्चे में भी अब सुधार देखा जा रहा है.