पटना. बिहार में देसी शराब की बिक्री और सेवन पर पाबंदी लगा दी गई है. सरकार ने इसे सफल बनाने के लिए कानून में कड़े प्रावधान किए हैं. साथ ही जागरुकता अभियान भी चलाया जा रहा है.
राजधानी पटना में तीन करोड़ की शराब की पेटियों को जेसीबी मशीन से रौंदा गया है. पटना से कोसों दूर औरंगाबाद में 46 लाख की 63 हजार लीटर शराब को भी ऐसे ही नष्ट किया गया.
शराबबंदी को सफल बनाने के लिए उत्पाद संशोधन विधेयक में सख्त सजा का प्रावधान किया गया है. जहरीली शराब बनाने वालों के लिए मृत्युदंड तक का प्रावधान किया गया है, जबकि शराब पीकर कोई विकलांग हुआ, तो शराब बनाने वाले को आजीवन कारावास की सजा दी जाएगी.
शराब पीकर घर में भी हंगामा करने वाले अब नहीं बख्शे जाएंगे. घर में शराब पीकर हंगामा करने पर 10 साल की सजा होगी. जबकि सार्वजनिक जगहों पर हंगामा करने पर कम से कम पांच साल की सजा का प्रावधान किया गया है.
नए कानून के मुताबिक किसी को भी अवैध तरीके से शराब पिलाने वालों को कम से कम आठ साल की सजा होगी. कानून में बच्चों का खास ध्यान रखा गया है. बच्चों को शराब पिलाने पर न्यूनतम सात साल की सजा का प्रावधान है.
बिहार सरकार ने विदेशी शराब की ब्रिकी को लेकर भी नए कानून में प्रावधान किया है. किस-किस कंपनी की शराब बेची जाएगी ये चिन्हित कर दी गई है. यानी अब शराब की दुकानों में सरकारी मुहर वाली ही शराब मिलेगी.
नई नीति लागू होने ने बिहार में कुल शराब दुकानों की संख्या में करीब 90 फीसदी की कमी हो जाएगी. शराब की बिक्री और सेवन पर पाबंदी लगने से बिहार को करीब 3200 करोड़ रुपये का घाटा हो सकता है.