रोहतक. बहुचर्चित जाट आंदोलन में जलाए गए एक मॉल के मालिक सुरेश शर्मा राहत के रूप में मिली रकम से सतुंष्ट नहीं हैं. वह कहते हैं, “राहत राशि के रूप में मेरे खाते में 10 लाख रुपये आए हैं. पुनर्निर्माण की बात तो छोड़ दीजिए, इस राशि से मॉल की सफाई तक नहीं होगी. मेरी वर्षो की मेहनत मलबे में तब्दील हो गई.”
हरियाणा में अकेले शर्मा ही नहीं हैं. उनके जैसे सैकड़ों हैं, जिनके प्रतिष्ठानों, दुकानों और संस्थानों को गत माह जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान लूटने के बाद जला दिया गया. अब हाल यह है कि राज्य में गैर जाट व्यापारी समुदाय इस दुविधा में हैं कि उन्हें अपने प्रतिष्ठानों का पुनर्निर्माण करना चाहिए या राज्य के बाहर अन्यत्र कहीं स्थानांतरित करना चाहिए.
शर्मा ने कहा, “मेरा अनुमान है कि अकेले मॉल में 7 करोड़ रुपये की क्षति हुई है. अब मैं और मेरे कर्मचारी बेरोजगार हैं. हमलोग नहीं जानते कि पुनर्निर्माण के लिए कहां से पैसे आएंगे? सरकार की ओर से मिली राहत राशि इतनी कम है कि वह कोई काम की नहीं है. सरकार को पूरी क्षतिपूर्ति तुरंत देनी चाहिए, क्योंकि सरकार और पुलिस व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को सुरक्षा प्रदान करने में विफल रही.”
उधर, स्थानीय व्यापारियों ने कहा कि जाट प्रदर्शनकारियों ने केवल गैर जाट समुदाय के लोगों जैसे पंजाबी, सैनी, ब्राह्मण और अन्य व्यापारियों के प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया.