नीतीश ने की कन्हैया की तारीफ, आवाज उठाने के लिए धन्यवाद

जवाहरलाल नेहरु यूनिवर्सिटी छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार जेल से रिहा होने के बाद जेएनयू परिषर में पहुंचा. कन्हैया ने भाषण देते हुए कई सवाल खडे़ किए इसके बाद कन्हैया को राजनीतिक गलियारों से लगातार समर्थन मिल रहा है.

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नीतीश ने की कन्हैया की तारीफ, आवाज उठाने के लिए धन्यवाद

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  • March 4, 2016 9:14 am Asia/KolkataIST, Updated 9 years ago
पटना. जवाहरलाल नेहरु यूनिवर्सिटी छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार जेल से रिहा होने के बाद जेएनयू परिषर में पहुंचा. कन्हैया ने भाषण देते हुए कई सवाल खडे़ किए इसके बाद कन्हैया को राजनीतिक गलियारों से लगातार समर्थन मिल रहा है.
 
इस बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की तरह बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी कन्हैया की तारीफ कर डाली. नीतीश ने कहा कि मैं कन्हैया को दबे कुचले लोगों की आवाज उठाने के लिए बधाई देता हूं.
 
उन्होंने आगे कहा कि पहले लव जेहाद, राम मंदिर, घर वापसी, अब देशभक्ति के जरिए देश को बांटना चाहते हैं अब इन्हें कामयाबी नहीं मिलेगी. अपना विचार सब पर थोपना चाहते हैं,इसमें कामयाब नही होंगे. कन्हैया ने जबरदस्त भाषण दिया और जो भी उन्होंने कहा सही कहा.
 
नीतीश ने कहा, भुखमरी से आजादी होनी चाहिए जो सही है, असहिष्णुता से, पूंजीवाद से आजादी, कन्हैया ने अपने विचार प्रभावी ढंग से रखा. नई पीढ़ी में बहुत क्षमता है. ऐसे युवा के आगे आने से देश में लोकतंत्र मजबूत होगा. देश में पनप रहे अंसतोष को दबाने के लिए देशभक्ति का नारा छेड़ा है. उनको और कम्युनिस्ट पार्टी को शुभकामना देता हूं, ऐसे विचारों को बल मिलेगा.
 
भाषण में क्या कहा कन्हैया ने?
बता दें कि कन्हैया अपनी रिहाई के बाद सीधे जेएनयू कैंपस पहुंचा जहां छात्रों ने उसके समर्थन में मार्च निकाला था. इस बीच भाषण के दौरान कन्हैया ने कहा कि उन्हें देश से आजादी नहीं बल्कि देश में आजादी चाहिए. कन्हैया ने मन की बात से लेकर हर हर मोदी, चुनावी वादों, जाट आरक्षण, मोदी के ट्वीट जैसे तमाम मुद्दे उठाए और केंद्र को घेरा.
 
6 महीने की मिली अंतरिम जमानत
जेएनयू परिसर में कथित तौर पर भारत-विरोधी नारे लगाने के चलते देशद्रोह के मामले में कन्हैया कुमार को छह महीने की अंतरिम जमानत दी गई है. दिल्ली हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति प्रतिभा रानी ने कन्हैया को 10 हजार रुपये का निजी मुचलका जमा करने के लिए कहा था.
 
क्या है मामला ?
9 फरवरी को जेएनयू में द ‘कंट्री विदाउट ए पोस्ट ऑफिस’ नाम से एक विरोध मार्च का आयोजन किया गया था. जेएनयू के गंगा ढाबा से शुरू हुए इस विरोध मार्च में आतंकी अफजल गुरु और मकबूल भट की फांसी को न्यायिक हत्या बताया गया. इस दौरान आतंकियों के समर्थन और कश्मीर को भारत से अलग करने की मांग को लेकर नारेबाज़ी की गई.

 

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