इच्छामृत्यु के मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि इस मामले में संसद में बहस होगी. इसके बाद कोर्ट ने सुनवाई को जुलाई तक टाल दिया है. पिछली सुनवाई में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि लॉ कमीशन ने कुछ सुरक्षा उपायों के साथ पेसिव एथोनेसिया के लिए सहमति दे दी है.
नई दिल्ली. इच्छामृत्यु के मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि इस मामले में संसद में बहस होगी. इसके बाद कोर्ट ने सुनवाई को जुलाई तक टाल दिया है. पिछली सुनवाई में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि लॉ कमीशन ने कुछ सुरक्षा उपायों के साथ पेसिव एथोनेसिया के लिए सहमति दे दी है.
केंद्र सरकार ने एक हफ्ते का समय मांगते हुए कहा कि लॉ कमीशन की रिपोर्ट को कानून मंत्रालय के पास भेज दिया गया है. एक हफ्ते के भीतर कानून मंत्रालय अपना पक्ष साफ़ कर देगा.
दरअसल इच्छा मृत्यु को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से अपना रुख साफ करने को कहा था. कोर्ट में लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखे गए ऐसे लोगों का मसला उठाया गया है, जिनके ठीक होने की अब कोई उम्मीद नहीं बची है.
क्या है मामला
लगभग 42 साल से कोमा में रहीं मुंबई की नर्स अरुणा शानबॉग को इच्छा मृत्यु देने से सुप्रीम कोर्ट ने साल 2011 में मना कर दिया था. फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि डॉक्टरों के पैनल की सिफारिश, परिवार की सहमति और हाई कोर्ट की इजाज़त से कोमा में पहुंचे लाइलाज मरीज़ों को लाइफ स्पोर्ट सिस्टम से हटाया जा सकता है.
कौन थीं अरूणा शानबॉग
27 नवंबर 1973 को केईएम हॉस्पिटल के वार्ड ब्वॉय सोहनलाल वाल्मीकि ने अरुणा शानबाग के साथ बलात्कार किया था. अरूणा वहां जूनियर नर्स के रूप में कार्य कर रही थी. इस क्रम में उसकी आवाज दबाने के लिए वाल्मीकि ने कुत्ते के गले में बांधी जाने वाली चेन से उसका गला जोर से लपेट दिया था, जिसके बाद वो कोमा में चली गईं थी.