शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' के संपादकीय में आज दो घटनाओं को लेकर मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नवीस को सवालों के कटहरे में खड़ा किया गया है. वकोला वाले मामले के बाद 'सामना' ने मुख्यमंत्री के उस बयान की ओर ध्यान आकर्षित किया है जिसमे उन्होंने गृहमंत्री पद को लेकर कहा था कि मैं पार्टटाइम गृहमंत्री होने की बजाय ओवरटाइम गृहमंत्री हूँ.
मुंबई. शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में आज दो घटनाओं को लेकर मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नवीस को सवालों के कटहरे में खड़ा किया गया है. वकोला वाले मामले के बाद ‘सामना’ ने मुख्यमंत्री के उस बयान की ओर ध्यान आकर्षित किया है जिसमे उन्होंने गृहमंत्री पद को लेकर कहा था कि मैं पार्टटाइम गृहमंत्री होने की बजाय ओवरटाइम गृहमंत्री हूँ.
साथ ही ‘सामना’ में लिखा गया है कि इसी ओवरटाइम के दबाव के चलते पुलिसवाले अपने सहयोगियों की हत्या और आत्महत्या कर रहे हैं. ये हकीकत बयान करने से नहीं चूके. वहीं दुसरी ओर महाराष्ट्र में विदर्भ का मुख्यमंत्री होने के बावजूद विदर्भ के कुछ इलाकों में महाराष्ट्र दिन का विरोध हुआ इस पर ‘सामना’ में कड़े शब्दों से प्रहार किया है.
सामना में कड़ा प्रहार करते हुए कहा गया है कि ‘महाराष्ट्र दिन’ को काले दिन के रूप में मनाने वाले नमकहराम और हरामखोरों को ढूंढ कर निकालना मुख्यमंत्री की जिम्मेदार है. ऐसे लोगो की तुलना अलगाववादियों से करते हुए इन्हें महाराष्ट्रद्रोहि कहा गया है क्योंकि जम्मू कश्मीर में भी स्वतंत्रता दिवस पर काला दिन मनाते हुए पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे देनेवालों को देशद्रोही करार दिया जाता है.
‘सामना’ में आगे लिखा गया है कि फिलहाल महाराष्ट्र के तिजोरी की सारी चाबियां विदर्भ के पास है फिर भी महाराष्ट्र का विरोध करना ठीक नहीं. ‘सामना’ में आगे चेतावनी दी गयी है कि ऐसी हरकते भविष्य में बर्दाश्त नहीं की जायेगी. कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ़्ती मोहम्मद सईद जिस तरह अलगाववादियों का समर्थन करते हैं ये दिखा दें कि उस तरह महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री नहीं हैं. सी गुहार सामना में आखिर में लगाई गई है.
IANS