करीब दो साल से जेल में बंद सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत रॉय ने अपनी एक किताब में कहा है कि केवल बुनियादी सुविधाओं के साथ एक जेल तक सीमित रहना एक 'झटका' है और कभी-कभी उन्हें आश्चर्य होता है कि उन्होंने 'गलत' क्या किया है.
नई दिल्ली. करीब दो साल से जेल में बंद सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत रॉय ने अपनी एक किताब में कहा है कि केवल बुनियादी सुविधाओं के साथ एक जेल तक सीमित रहना एक ‘झटका’ है और कभी-कभी उन्हें आश्चर्य होता है कि उन्होंने ‘गलत’ क्या किया है.
सहारा के 39वें फाउंडेशन डे पर मंगलवार को जारी किताब ‘लाइफ मंत्रास’ में राय ने यह भी कहा कि ‘जेल में जिंदगी दर्दनाक और अकेलेपन वाली भले हो’ लेकिन वह ज्यादातर मौकों पर दबावमुक्त रहते हैं और उन्होंने पूरा जीवन तनाव मुक्त जीया है.
‘लाइफ मंत्रास’ चिंतन तिहाड़ से तीन किताबों की सीरीज की पहली किताब है, जिसे राय ने निवेशकों के हजारों करोड़ रुपये रकम से जुड़े मामले में तिहाड़ जेल में न्यायिक हिरासत के दौरान लिखा है.
इसी श्रृंखला में सहारा प्रमुख की दो अन्य पुस्तकें- “थिंक विद मी- हाउ टू मेक अवर कंट्री आइडियल” और “रिफ्लेक्शंस फ्रॉम तिहाड़- ए बुक ऑन तिहाड़ जेल” नाम से आएंगी.