मयूरभंज. यू तो देश में कई परंपराएं हैं लेकिन यह किस-किस तरह की हो सकती हैं यह तय करना मुश्किल है. एक परंपरा की नई कहानी आप जानेंगे तो हैरान हो जाएंगे. ओडिशा के मयूरभंज जिले में बच्चों के दांत आने पर उनकी कुत्तों से शादी कर दी जाती है.
हैरान करने वाली बात यह है कि बच्चों के दांत आने पर तो खुशी मनाई जाती है लेकिन इस जिले में इसका उल्टा होता है. जानकारी के अनुसार ओडिशा के संथाल आदिवासी इस परंपरा को मानते हैं जिसमें बच्चों के अगर ऊपर के दांत पहले आ जाए तो उसे अशुभ माना जाता है.
मृत्यु का छा जाता है साया
इसे इस कदर अशुभ माना जाता है कि तब समुदाय के लोग सोचते हैं कि बच्चे के जीवन पर मृत्यु का साया मंडराने लगा है. इस दोष से बचने के लिए यह लोग एक अनोखा अनुष्ठान करते हैं, जिसमें बच्चों की शादी कुत्ते से कर दी जाती है.
शुक्रवार को कराई जाती है शादी
इस शादी को लेकर संथाल यह नहीं सोचते कि शादी चुपचाप करा दी जाए बल्कि वह पूरे धूम-धाम से यह संस्कार करते हैं जिसके लिए शुक्रवार के दिन को अहमियत दी गई है. इस परंपरा के हिसाब से ज्यादा से ज्यादा पांच साल की उम्र तक के बच्चे की शादी कराई जा सकती है. शादियों का यह सिलसिला संक्रांति से लेकर होली के दूसरे दिन तक निभाया जाता है.
पेड़ भी है दूसरा विकल्प
बता दें कि आदिवासी इस शादी को ‘सेता बपला’ कहते हैं जिसमें ‘सेता’ का अर्थ कुत्ता और ‘बपला’ यानी शादी होती है. इस रिवाज के मुताबिक पेड़ों से भी बच्चों की शादी की जा सकती है.