उत्तर प्रदेश में लोकायुक्त की नियुक्ति के मामले में वकील कपिल सिब्बल के पेश न होने पर नाराज सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वकीलों की सुविधा जरूरी है, लेकिन सवाल ये है कि कोर्ट कैसे काम करें, अगर सिब्बल यूपी सरकार के लिए पेश नहीं हो पा रहे हैं तो सरकार कोई और विकल्प तलाशे.
नई दिल्ली. उत्तर प्रदेश में लोकायुक्त की नियुक्ति के मामले में वकील कपिल सिब्बल के पेश न होने पर नाराज सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वकीलों की सुविधा जरूरी है, लेकिन सवाल ये है कि कोर्ट कैसे काम करें, अगर सिब्बल यूपी सरकार के लिए पेश नहीं हो पा रहे हैं तो सरकार कोई और विकल्प तलाशे.
कोर्ट ने कहा कि सवाल एक केस का नहीं है, लेकिन कोर्ट के कामकाज को सुचारू रूप से चलाना होगा. सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार की अपील को ठुकरा दिया. यूपी सरकार की दलील थी कि सिब्बल दूसरे केस में हैं, इसलिए गुरुवार या शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई हो, लेकिन कोर्ट ने कहा कि सुनवाई बुधवार को ही करेंगे, सिब्बल नहीं तो किसी और विकल्प को देखें.
हालांकि बाद में सिब्बल कोर्ट पहुंचे और बताया कि वो संविधान पीठ के सामने बहस कर रहे हैं और अब अगर सुनवाई कर सकते हैं तो वो तैयार हैं, लेकिन कोर्ट ने कहा कि मामले की सुनवाई बुधवार के लिए तय हो चुकी है.
क्या है मामला
दरअसल सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर उत्तर प्रदेश सरकार पर लोकायुक्त के लिए सेवानिवृत्त जज वीरेंद्र सिंह का नाम गलत तरीके से अदालत के सामने रखने का आरोप लगाया गया है.
इस याचिका में शीर्ष अदालत से गत 16 दिसंबर के आदेश में बदलाव करने की गुहार की गई है, जिसमें अदालत ने सेवानिवृत्त जज वीरेंद्र सिंह को उत्तर प्रदेश का नया लोकायुक्त नियुक्त किया था, लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट ने शपथ लेने पर रोक लगा दी थी.