नेपाल में बीती शनिवार को आए 7.9 की तीव्रता वाले विनाशकारी भूकंप के दौरान कुछ सेकंड में ही भारत का एक हिस्सा करीब एक से 10 फुट उत्तर और पड़ोसी देश के नीचे खिसक गया. अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय स्थित लामोंट डोहर्ती अर्थ ऑब्जर्वेटरी के लामोंट एसोसिएट रिसर्च प्रोफेसर कोलिन स्टार्क ने कहा, 'शनिवार को एक ओर काठमांडू और पोखरा तथा दूसरी ओर पूरा हिमालयी पर्वतीय विस्तार का करीब एक हजार से दो हजार वर्ग मील का क्षेत्र खिसक गया.'
वाशिंगटन. नेपाल में बीती शनिवार को आए 7.9 की तीव्रता वाले विनाशकारी भूकंप के दौरान कुछ सेकंड में ही भारत का एक हिस्सा करीब एक से 10 फुट उत्तर और पड़ोसी देश के नीचे खिसक गया. अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय स्थित लामोंट डोहर्ती अर्थ ऑब्जर्वेटरी के लामोंट एसोसिएट रिसर्च प्रोफेसर कोलिन स्टार्क ने कहा, ‘शनिवार को एक ओर काठमांडू और पोखरा तथा दूसरी ओर पूरा हिमालयी पर्वतीय विस्तार का करीब एक हजार से दो हजार वर्ग मील का क्षेत्र खिसक गया.’
स्टार्क ने कहा, ‘बस कुछ ही सेकंड में भारत का एक हिस्सा एक से 10 फुट उत्तर और नेपाल के नीचे खिसक गया.’ स्टार्क ने कहा, ‘बिहार के नीचे की चट्टान (जिसे हम भूपृष्ठ या स्थलमंडल कहते हैं) नेपाल में भरतपुर से हेतौदा होते हुए जनकपुर के क्षेत्र के नीचे खिसक गई.’ स्टार्क ने कहा, ‘यह अहसास अहम है कि पूरा उत्तर भारत पूरे समय उत्तर की ओर नेपाल आदि के नीचे खिसक रहा है. बिंदु यह है कि यह खिसकना अचानक विभिन्न स्थानों पर विभिन्न समय होता है.’
भौतिकविदों ने निगरानी की है कि पृथ्वी की प्लेटें कितनी तेजी से चल रही हैं और यह पता चला कि पूरा भारतीय उपमहाद्वीप धीरे-धीरे लेकिन निश्चित तौर पर नेपाल और तिब्बत के नीचे करीब 1.8 इंच प्रतिवर्ष की दर से खिसक रहा है.
IANS