लखनऊ. अखिलेश सरकार ने मुस्लिम संगठनों के विरोध के चलते अपने फैसले को वापस लेना पड़ा जिसमें एक से अधिक पत्नी वाले उर्दू शिक्षकों के लिए अप्लाई नहीं कर सकते थे. सरकार ने सफाई देते हुए यह भी कहा है कि कभी ऐसा कोई नियम लाया ही नहीं गया. यूपी सरकार की ओर से कहा गया कि उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति पहले से चले आ रहे नियमों के आधार पर ही होगी.
बेसिक एजुकेशन मिनिस्टर अहमद हसन ने कहा कि सरकार के आदेश पर हस्ताक्षर करने के क्रम में मैंने आज पाया कि इसमें ऐसा कोई नियम नहीं है. इसलिए हमने इस ओर स्पष्टीकरण जारी किया. ये सपा सरकार को बदनाम करने के लिए दुष्प्रचार है.
उन्होंने आगे कहा कि जिस आधार पर 2013 में भर्तियां हुई थीं, उसी आधार पर भर्तियां हो रही हैं. हम लोग खुद हैरान हैं कि दो बीवियां होने पर आवेदन से अयोग्य ठहराने की बात कहां से उठी.
बता दें कि इससे पहले अखिलेश सरकार ने नोटिस जारी किया था कि एक से ज्यादा बीवी रखने वाले व्यक्ति उर्दू शिक्षक नहीं बन सकता. सरकार ने रिटायरमेंट के बाद पेंशन की दावेदारी को लेकर होने वाली अड़चन के मद्देनजर ऐसा किया था पर मुसलिम संगठनों ने इस आदेश को मुसलमानों के मजहबी हक पर हमला करार दिया था.