हिलेरी क्लिंटन का राष्ट्रपति चुनाव कैंपेन सवालों के घेरे में

हिलेरी क्लिंटन का राष्ट्रपति अभियान सवालों के घेरे में घिरता नजर आ रहा है. हिलेरी क्लिंटन की संस्था क्लिंटन फाउंडेशन पर भारतीय दवा कंपनी रैनबैक्सी द्वारा एड्स मरीजों के लिए तैयार की गई अनुपयोगी दवा का वितरण करने का आरोप लगा है. इसके साथ ही ट्विटर पर हिलेरी के फोलोअर्स की प्रामाणिकता भी सवाल उठने लगे हैं. 

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हिलेरी क्लिंटन का राष्ट्रपति चुनाव कैंपेन सवालों के घेरे में

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  • April 28, 2015 7:16 am Asia/KolkataIST, Updated 10 years ago

वाशिंगटन. हिलेरी क्लिंटन का राष्ट्रपति अभियान सवालों के घेरे में घिरता नजर आ रहा है. हिलेरी क्लिंटन की संस्था क्लिंटन फाउंडेशन पर भारतीय दवा कंपनी रैनबैक्सी द्वारा एड्स मरीजों के लिए तैयार की गई अनुपयोगी दवा का वितरण करने का आरोप लगा है. इसके साथ ही ट्विटर पर हिलेरी के फोलोअर्स की प्रामाणिकता भी सवाल उठने लगे हैं. 

कंजरवेटिव पार्टी की न्यूज वेबसाइट ‘वर्ल्डनेटडेली’ (डब्लूएनडी) पर सोमवार को प्रकाशित रपट में आरोप लगाया गया है कि हिलेरी के परिवार की संस्था क्लिंटन हेल्थ किड्स इनिशिएटिव (सीएचएआई) ने विकासशील देशों में एड्स की घटिया व अनुपयोगी दवाओं के वितरण के लिए भारतीय दवा कंपनी रैनबैक्सी के साथ काम किया है. रपट में क्लिंटन परिवार को संयुक्त राष्ट्र समूह यूएनआईटीएआईडी द्वारा चलाए गए एयरलाइन टिकट वसूली कार्यक्रम से व्यक्तिगत रूप से लाभ पहुंचने का आरोप भी लगाया गया है.

वॉल स्ट्रीट पत्रिका के एक विश्लेषक का हवाला देते हुए डब्लूएनडी ने कहा है कि सीएचएआई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और उपाध्यक्ष इरा मैगेजिनर ने इस सौदे पर चर्चा के लिए 2002 में रैनबैक्सी से बात की थी. विश्लेषक ने 2013 में प्रकाशित किताब ‘एड्स ड्रग्स फॉर ऑल’ का हवाला देते हुए कहा कि सीएचएआई ने रैनबैक्सी को प्रस्ताव दिया कि वे दवाओं की खरीदारी के लिए विकासशील देशों को एक साथ ला सकते हैं.

इस दौरान, फोर्ब्स पत्रिका ने सोमवार को बताया कि अमेरिका की पूर्व विदेश मंत्री के लगभग 62 प्रतिशत ट्विटर फोलोअर या तो फर्जी हैं या निष्क्रिय हैं. उन्होंने कहा, इस तरह से हिलेरी के लगभग 34 लाख ट्विटर फोलोअरों में से 21 लाख ने कभी भी उनके ट्वीट नहीं पढ़े. फोर्ब्स का कहना है कि रोचक बात यह है कि हिलेरी कुछ चुनिंदा लोगों को ही फॉलो करती हैं और उनके ट्वीट की संख्या भी कम ही है.

हालांकि, रविवार को फाउंडेशन ने स्वीकार किया कि अपने विदेशी दानदाताओं की जानकारी देने में उनसे गलती हुई है. इस पारिवारिक फाउंडेशन की स्थापना पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने 2001 में की थी. लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि दानदाताओं की विस्तृत जानकारी और विदेश सरकार योगदान नीति पहले से अधिक सशक्त है. फाउंडेशन की कार्यवाहक सीईओ मॉरा पैली ने अपने ब्लॉग में कहा, “हां, हमसे गलती हुई. हमारे जैसे कई संगठनों से गलतियां हो जाती हैं. लेकिन हम इन्हें ठीक करने के लिए तेजी से काम कर रहे हैं, ताकि इस तरह की गलतियां भविष्य में नहीं हों.” उन्होंने कहा, “जब से हिलेरी क्लिंटन ने राष्ट्रपति चुनाव लड़ने का फैसला किया है. हम तिमाही आधार पर अपने सभी दानदाताओं की जानकारी साझा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.”

IANS

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