नई दिल्ली. जिस वक्त दिल्ली के ज्यादातर लोग अपनी सीएनजी गाड़ियों में स्टिकर लगवाने के लिए कतारों में खड़े थे. उस वक्त कुछ लोग फर्जी स्टिकर की फैक्ट्री तैयार कर रहे थे. इस समय ज्यादा अफसोस की बात तो ये है कि हमारे-आपके बीच के ही कुछ लोग, ये फर्जी स्टिकर अपनी गाड़ियों में लगवा भी रहे थे.
ईवन-ऑड स्कीम में सीएनजी गाड़ियों को मिलने वाली छूट का फायदा उठाकर कुछ लोग अपनी जेब भरने में लगे हैं. तीन हजार रुपयों में ऐसी गाड़ियों को सीएनजी स्टिकर दिया जा रहा है जिनमें सीएनजी सिलेंडर और सीएनजी किट है ही नहीं.
आज ही सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में दौड़ रही सारी टैक्सियों को 31 मार्च तक सीएनजी में तब्दील किए जाने का आदेश दिया है. अब सवाल उठता है कि अगर ऐसे फर्जीवाड़े से सीएनजी स्टिकर बंटेंगे तो फिर प्रदूषण नियंत्रण की किसी भी योजना के सफल होने की कितनी गुंजाइश बचेगी ?
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