व्यापम घोटाले में पहली सज़ा, दो छात्रों को 3-3 साल की जेल

मध्य प्रदेश के विवादित व्यावसायिक परीक्षा मंडल यानी व्यापम परीक्षा और भर्ती घोटाला के एक मामले में फैसला आ गया है. इंदौर जिला कोर्ट में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश डीके मित्तल की अदालत ने व्यापम के एक मामले में आरोपी छात्र अक्षत सिंह और प्रकाश कुमार को दोषी ठहराते हुए 3-3 साल की सजा सुनाई.

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व्यापम घोटाले में पहली सज़ा, दो छात्रों को 3-3 साल की जेल

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  • December 26, 2015 11:10 am Asia/KolkataIST, Updated 9 years ago
इंदौर. मध्य प्रदेश के विवादित व्यावसायिक परीक्षा मंडल यानी व्यापम परीक्षा और भर्ती घोटाला के एक मामले में फैसला आ गया है. इंदौर जिला कोर्ट में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश डीके मित्तल की अदालत ने व्यापम के एक मामले में आरोपी छात्र अक्षत सिंह और प्रकाश कुमार को दोषी ठहराते हुए 3-3 साल की सजा सुनाई.
 
क्या था व्यापम का ये वाला मामला
 
व्यापम के तहत 2013 में इंदौर के नूतन स्कूल में हो रही पशुपालन डिप्लोमा प्रवेश परीक्षा में भीलवाड़ा के रहने वाले अक्षत सिंह को झाबुआ के प्रकाश कुमार के नाम से परीक्षा देते पकड़ा गया था. एमजी रोड थाना पुलिस ने आईपीसी की धारा 419, 420, 465, 468 एवं 3/4 परीक्षा अधिनियम के तहत दोनों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी. व्यापम मामले को लेकर बनी स्पेशल कोर्ट के जज डीके मित्तल ने दोनों को बहस पूरी होने के बाद 3-3 साल की सजा सुनाई.
 
 
व्यापम घोटाला मामले से जुड़े करीब 48 लोगों की रहस्यमय हालात में मौत के कारण देश भर में चर्चा का विषय बन गया था और सुप्रीम कोर्ट ने इस घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपते हुए निगरानी अपने पास रख ली थी.
 
उसके बाद से इस घोटाला से जुड़े लोगों की मौत का सिलसिला थम सा गया है. एमपी के राज्यपाल रामनरेश यादव के बेटे शैलेश यादव की भी लखनऊ में संदिग्ध हालत में मौत हो गई थी जिनका नाम इस घोटाले में आ रहा था.
 
चार दर्जन केस, पूर्व मंत्री समेत करीब 2000 गिरफ्तारी
 
व्यापम घोटाला के तहत मध्य प्रदेश के अलग-अलग जिलों में चार दर्जन से ज्यादा केस दर्ज हैं जिन मामलों में ढाई हजार से ज्यादा लोग आरोपी हैं और पुलिस ने करीब दो हजार लोगों को गिरफ्तार भी किया है.
 
 
वैसे तो इस घोटाले का पहला मामला वर्ष 2000 में ही दर्ज हो गया था लेकिन 2009 में प्री-मेडिकल टेस्ट परीक्षा में धांधली के मामले सामने आने पर राज्य सरकार ने इसकी जांच के लिए कमिटी बनाई. कमिटी की 2011 में रिपोर्ट आई और उसके आधार पर सौ से ज्यादा लोग गिरफ्तार किए गए.
 
2013 में इंदौर पुलिस ने 2009 के प्री-मेडिकल टेस्ट मामले को लेकर 20 लोगों को गिरफ्तार किया और उनसे पूछताछ के बाद पता चला कि व्यापम में भर्ती और नौकरी दिलाने का संगठित गिरोह चल रहा है. इसमें कोई किसी के बदले परीक्षा दे रहा है तो कोई किसी के नंबर बढ़ा रहा है.
 
 
पुलिस ने मास्टरमाइंड जगदीश सागर को गिरफ्तार किया तो पता चला कि व्यापम का दफ्तर ही इस धंधे का हेडक्वार्टर है. इस मामले में राज्य के पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा भी गिरफ्तार हो चुके हैं और कई बड़े नेताओं का नाम इस घोटाले से सिफारिश करने वालों के तौर पर जुड़ा है.
 
मेडिकल-इंजीनियरिंग में दाखिले और सरकारी नौकरियां का घोटाला
 
व्यावसायिक परीक्षा मंडल यानी व्यापम मेडिकल, इंजीनियरिंग और दूसरी व्यावसायिक पढ़ाई के साथ-साथ सरकारी नौकरियों के लिए सेलेक्शन करता है. व्यापम घोटाला में एक पार्ट मेडिकल और इंजीनियरिंग में दाखिले का है तो दूसरा पार्ट सरकारी नौकरियों को पैसे लेकर देने का.
 
 
घोटाले की जांच के लिए राज्य सरकार ने एक STF बनया था जिसे जांच में पता चला कि व्यापम घोटाले का दायरा दूसरी परीक्षा और नौकरी में भी है. जांच में फूड इंस्पेक्टर, मिल्क फेडरेशन स्टाफ, सूबेदार सब इंस्पेक्टर, प्लाटून कमांडर, पुलिस कांस्टेबल भर्ती में भी पैसे लेकर बहुत गड़बड़ी करने का पता चला. 

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