नई दिल्ली. दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को लेखकों के साहित्य अकादमी अवॉर्ड लौटाने के खिलाफ दर्ज याचिका पर केंद्र सरकार व साहित्य अकादमी को नोटिस जारी किया. मामले पर मुख्य न्यायाधीश जी.रोहिणी व न्यायाधीश जयंत नाथ की उच्च न्यायालय की एक पीठ ने पर्यटन व संस्कृति मंत्रालय तथा साहित्य अकादमी से 15 फरवरी तक जवाब मांगा है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक वरिष्ठ अधिवक्ता हाजी मोहम्मद माजिद कुरैशी ने एक जनहित याचिका में अवॉर्ड लौटाने के लिए सरकार को दिशा-निर्देश बनाने का निर्देश देने की मांग की है.
याचिका में की गई यह मांग
याचिकाकर्ता ने सरकार से आग्रह किया कि वह इस बात को सुनिश्चित करे कि अवॉर्ड पाने वाला यदि अवॉर्ड लौटाता है, तो उन्हें न सिर्फ पुरस्कार राशि को सूद के साथ लौटाना चाहिए, बल्कि उस रॉयल्टी को भी लौटाना चाहिए, जो उन्होंने पुरस्कार प्राप्त पुस्तकों की बिक्री या अन्य कार्यो से प्राप्त किए हों.
कुरैशी का कहना है, “चूंकि साहित्य अकादमी अवॉर्ड एक राष्ट्रीय सम्मान है, इसलिए इसकी शुचिता को उसी तरह बनाए रखने की जरूरत है, जैसा कि हम राष्ट्रीय ध्वज व राष्ट्रीय प्रतीकों के लिए करते हैं.” याचिकाकर्ता के मुताबिक, “लेखकों का कदम शर्मनाक व निंदनीय है.”
केंद्र सरकार का आग्रह
केंद्र सरकार के अधिवक्ता ने न्यायालय से कहा कि सरकार पुरस्कृत लोगों द्वारा लौटाए गए अवॉर्ड वापस लेने का उनसे आग्रह कर रही है. अधिवक्ता ने कहा, “हमें बेहद दुख है कि वे अवॉर्ड लौटा रहे हैं. हम उनसे अवॉर्ड वापस लेने का अनुरोध कर रहे हैं. हम चेक को नहीं भुनाएंगे. हम उन लोगों का सम्मान करते हैं.”
बता दें कि देश में बढ़ रही असहिष्णुता का विरोध करते हुए लगभग तीन दर्जन लेखक व अन्य सितंबर महीने की शुरुआत से लेकर अब तक अपने अवॉर्ड लौटा चुके हैं.
IANS