नई दिल्ली. दिसंबर 2012 में निर्भया केस ने देश और दुनिया को झकझोर डाला था. देश के कई जगहों पर आंदोलन तथा विरोध प्रदर्शन हुए. गैंगरेप की वारदात में शामिल नाबालिग को कठोर सजा दिलाने के लिए कोर्ट में लंबी बहस चली. जस्टिस जे एस वर्मा कमेटी की सिफारिशों के आधार पर जुवेनाइल जस्टिस एक्ट में संशोधन की पहल भी हुई. ताकि जघन्य अपराधों में शामिल नाबालिगों को कानूनी छूट का फायदा उठाने से रोका जा सका.
तीन साल बीतने के बाद निर्भया का सबसे हैवान गुनहगार सजा काटकर जेल से बाहर भी आ गया, क्योंकि वो नाबालिग था. लेकिन इन तीन सालों में हमारी संसद नए कानून पर मुहर नहीं लगा सकी और पिछले 7 महीनों से ये विधेयक राज्यसभा की मंजूरी का इंतजार कर रहा है लेकिन हमारे सांसदों को इस पर बात करने की फुरसत ही नहीं मिल पाई. सुप्रीम कोर्ट पहले हीं अपनी लाचारी दिखा चुकी है कि कानून से परे जाकर वो कोई भी फैसला नहीं कर सकती. अब सवाल उठता है कि निर्भया को इंसाफ कौन और कैसे दिलाएगा ?
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