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रेखा गुप्ता को दिल्ली CM बनाने के तीन कारण, उनकी ताजपोशी की पूरी कहानी

दिल्ली विधानसभा चुनाव में 27 साल बाद भाजपा को मिली ऐतिहासिक सफलता और लगभग दो हफ्ते के मंथन के बाद रेखा गुप्ता को सीएम बनाने का फैसला फौरी तौर पर चौंकाने वाला है. जो भाजपा की रीति और नीति से वाकिफ हैं उन्हें पता है कि मोदी-शाह के दौर में  भाजपा कोई भी फैसला तात्कालिक की बजाय दीर्घकालिक लक्ष्य को ध्यान में रखकर करती है. जानिए वो तीन वजहें जिसकी वजह से रेखा गुप्ता बनीं सीएम.

Rekha Gupta with PM Modi
inkhbar News
  • February 20, 2025 8:21 am Asia/KolkataIST, Updated 1 month ago

नई दिल्ली. दिल्ली विधानसभा चुनाव में 27 साल बाद भाजपा को मिली ऐतिहासिक सफलता और लगभग दो हफ्ते के मंथन के बाद रेखा गुप्ता को सीएम बनाने का फैसला फौरी तौर पर चौंकाने वाला है. …लेकिन जो भाजपा की रीति और नीति से वाकिफ हैं उन्हें पता है कि मोदी-शाह के दौर में  भाजपा कोई भी फैसला तात्कालिक की बजाय दीर्घकालिक लक्ष्य को ध्यान में रखकर करती है. आरएसएस का थिंक टैंक पूरा एक्सरसाइज करता है, फिर मंत्रणा का दौर चलता है और उसके बाद फैसले होते हैं. रेखा गुप्ता के मामले में भी ऐसा ही हुआ. पूरी उम्मीद थी कि अरविंद केजरीवाल को शिकस्त देने वाले प्रवेश वर्मा या हैट्रिक लगा चुके विजेंद्र गुप्ता को मौका मिल सकता है लेकिन ऐसा नहीं हुआ. हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और गुजरात जैसे ढेरों उदाहरण हैं जहां भाजपा ने चौंकाने वाले निर्णय लिये.

नेता नया तरीका पुराना

नेता सदन के चुनाव में वही फार्मूला अपनाया गया जो अन्य राज्यों में अपनाया गया था. याद है न किस तरह से एमपी में शिवराज सिंह चौहान से मोहन यादव के लिए और राजस्थान में वसुंधरा राजे सिंधिया से भजनलाल शर्मा के नाम का प्रसत्वा रखवाया गया था. राजस्थान में राजनाथ सिंह पर्यवेक्षक बनकर गये थे और उनके हाथ की पर्टी सुर्खियां बनी थी. उस पर्ची को देखकर वसुंधरा राजे चौंक गईं थीं. ठीक वैसे ही दिल्ली में भी हुआ,.

रेखा गुप्ता के नाम का प्रस्ताव सीएम पद के सबसे प्रबल दावेदार प्रवेश वर्मा व विजेंद्र गुप्ता से रखवाया गया जिसका सबने समर्थन किया. दावेदारों को पर्यवेक्षकों ने एक एक करके बुलाया उनसे बात की और शीर्ष नेतृत्व के फैसले के बारे में जानकारी देकर कहा कि आप को प्रस्ताव रखना है. अपवादों को छोड़कर भाजपा में मना करने की परंपरा नहीं है. जिसने शीर्ष नेतृत्व की बात नहीं मानी उसकी गाड़ी पटरी से उतर जाती है.

आधी आबादी को साधा

किसी के भी मन में सवाल कौंधेगा कि एक अनजाने से नाम रेखा गुप्ता दिल्ली की मुख्यमंत्री क्यों? इसका जवाब छत्तीसगढ़, एमपी, राजस्थान जैसे राज्यों में हुई ताजपोशी में निहित है. दिल्ली में 27 वर्षों के बाद भाजपा ने 70 में से 48 सीटें हासिल सीटें जीती थी. उसके सामने कुछ नया करने और संदेश देने की चुनौती थी. बेशक पीएम मोदी के नेतृत्व में महिला आरक्षण बिल पास हुआ लेकिन सत्ता में उन्हें अपेक्षित भागीदारी नहीं मिली.  21 राज्यों में एनडीए की सरकार है लेकिन कोई महिला मुख्यमंत्री नहीं है. दिल्ली देश की राजधानी है और कॉस्मोपोलिटन सिटी भी. यहां देश भर के लोग रहते हैं.

भगवा पार्टी को लगा कि महिला को सीएम बनाने से देश भर में महिला सशक्तिकरण को लेकर संदेश जाएगा.  दिल्ली चुनाव में महिला मतदाताओं की पुरुषों से अधिक भागीदारी रही थी. जहां महिला वोटिंग प्रतिशत 60.92% था, वहीं पुरुषों का 60.21 फीसद. भाजपा ने चुनाव प्रचार के दौरान महिलाओं को ₹25,00 की आर्थिक सहायता देने का वादा किया था, जिसने महिला मतदाताओं को आकर्षित करने में अहम भूमिका निभाई.  70 सदस्यीय दिल्ली विधानसभा के चुनाव में बीजेपी ने 9 महिला उम्मीदवार उतारे थे. इनमें से चार महिला उम्मीदवारों की जीत मिली है. भाजपा ने रेखा गुप्ता को सीएम बनाकर महिलाओं को रिटर्न गिफ्ट दिया है.

पुराने वोट बैंक वैश्य वर्ग को कनेक्ट किया

रेखा गुप्ता वैश्य समुदाय से आती हैं, जो सालों से दिल्ली में भाजपा का मजबूत वोट बैंक है. उनका सीएम बनना इस समुदाय के साथ पार्टी के कनेक्शन को और मजबूत करेगा. इससे व्यापारी वर्ग मेंअच्छा संदेश जाएगा. पहले भाजपा ब्राह्मण-बनियों की पार्टी कही जाती थी लेकिन बदलते दौर में जब भाजपा ने अपना विस्तार किया तो इस वर्ग का प्रतिनिधित्व घटा लिहाजा उसकी भरपाई की गई है. रेखा गुप्ता को सीएम बनाने से दो लक्ष्य एक साथ सधे, पहला आधी आबादी और दूसरा वैश्य समुदाय.

RSS का दबाव

बताते हैं कि रेखा गुप्ता को सीएम बनाने में भाजपा से अधिक संघ का हाथ है और दिल्ली सीएम को लेकर जो उच्चस्तरीय बैठक हुई थी उसमें संघ के वरिष्ट नेता ने इस बात पर जोर दिया था कि मौजूदा परिस्थितियों में रेखा गुप्ता मुफीद रहेंगी. दरअसल रेखा गुप्ता का शुरू से संघ से जुड़ाव रहा है. उनकी राजनीतिक यात्रा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से शुरू हुई. दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्रसंघ (DUSU) में अध्यक्ष और सचिव पद का चुनाव भी जीतीं. इसके अलावा वह तीन बार दिल्ली नगर निगम में पार्षद रहीं और साउथ दिल्ली की मेयर भी. उनकी यह पृष्ठभूमि पार्टी के जमीनी कार्यकर्ताओं और कोर समर्थकों  को उनसे जोड़ता है. रेखा गुप्ता का मुख्यमंत्री बनना भाजपा की एक सुविचारित रणनीति का हिस्सा है, जो महिला सशक्तिकरण, समुदायिक प्रतिनिधित्व, और संगठनात्मक मजबूती को समाहित करता है.

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