नई दिल्ली. डीडीसीए में गड़बड़ी पर बीजेपी दो फाड़ होती नज़र आ रही है. बीजेपी सांसद
कीर्ति आज़ाद ने डीडीसीए को लेकर वित्त मंत्री अरुण जेटली के खिलाफ अपने आरोपों से पीछे हटने से इनकार कर दिया है.
कीर्ति आजाद ने गुरुवार की शाम बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव रामलाल से मुलाकात की लेकिन इसके बाद भी उन्होंने साफ़ कहा कि अभी तक सिर्फ 15 फीसदी मामला ही सामने आया है.
एक निजी समाचार चैनल से बातचीत में कीर्ति ने कहा कि आम आदमी पार्टी ने अभी मामले में 15 फीसदी खुलासे ही किए हैं. बाकी के 85 फीसदी खुलासे वह रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में करने वाले हैं.
पूर्व क्रिकेटर ने कहा कि वह किसी से नहीं डरते और पार्टी ने कभी भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने से मना नहीं किया है. कीर्ति ने कहा, ‘मेरी लड़ाई भ्रष्टाचार के खिलाफ है. मैं अपनी पार्टी या किसी व्यक्ति के खिलाफ नहीं हूं. मुझे न किसी का डर है और न ही निलंबन का. मैंने कुछ गलत नहीं किया है.”
‘मैंने इस घोटाले को सामने लाने के लिए लंबी लड़ाई लड़ी है’
कीर्ति ने कहा कि वह बीते 8 वर्षों से इस मुद्दे उठा रहे हैं. सीबीआई ने 1982 में
DDCA अधिकारियों को गिरफ्तार किया था, लेकिन कुछ नहीं बदला. उन्होंने कहा, ‘मैं पीछे नहीं हटूंगा और बोलता रहूंगा. जेटली जी वित्त मंत्री बनने से पहले डीडीसीए अध्यक्ष थे.’
गौरतलब है कि दिल्ली सचिवालय पर सीबीआई छापे के बाद डीडीसीए में भ्रष्टाचार को लेकर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस पहले से ही जेटली पर हमलावर हैं. दोनों ने जेटली के इस्तीफे की मांग की है.
गुरुवार शाम कीर्ति आजाद को उनके बयान पर सफाई के लिए बीजेपी नेतृत्व ने तलब किया गया था. उम्मीद थी कि इसके बाद वो नरम पड़ेंगे लेकिन ऐसा संकेत मिल नहीं रहा.
’14 फर्जी कंपनियों को दिए गए 87 करोड़’
इससे पहले, DDCA में जेटली की भूमिका पर कीर्ति आजाद ने एक न्यूज चैनल को इंटरव्यू में कहा, ‘यह DDCA में भ्रष्टाचार का मामला है. मेरे साथ बिशन सिंह बेदी, मनिंदर सिंह और सुरेंदर खन्ना जैसे पूर्व क्रिकेटर भी शामिल हैं. ये समय-समय पर भ्रष्टाचार को लेकर लिखते रहे हैं.’
कीर्ति ने बताया कि CBI ने 40 दिन पहले DDCA को नोटिस भेजा है और इनसे 40 सवाल पूछे गए हैं.
CBI के सवालों की फेहरिस्त में चार्टर्ड अकाउंटेंट की नियुक्ति से लेकर टेंडर प्रक्रिया तक से जुड़े सवाल हैं. कीर्ति ने आरोप लगाया है कि 14 फर्जी कंपनियों को 87 करोड़ रुपये DDCA ने दिए.