नई दिल्ली. भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान बिशन सिंह बेदी भी दिल्ली एण्ड डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट एसोसिएशन (DDCA) पर बरस पड़े हैं. बेदी ने ट्वीट करके पूछा है कि अगर डीडीसीए में सब कुछ ठीक था तो बीसीसीआई ने एसोसिएशन के पैसे क्यों रोक लिए थे और क्यों एसोसिएशन को अपने अध्यक्ष को ही पद से हटाना पड़ा.
बेदी ने कहा है कि
आम आदमी पार्टी ने डीडीसीए में भ्रष्टाचार को लेकर सोए हुए क्रिकेट प्रशंसकों को जगा दिया है. उन्होंने ये भी कहा है कि अगर डीडीसीए में कोई दिक्कत नहीं थी तो कोर्ट ने जस्टिस मुद्गल को क्यों एक टेस्ट मैच के आयोजन का जिम्मा दिया था.
डीडीसीए ने दिसंबर, 2014 में अपने अध्यक्ष स्नेह बंसल को वित्तीय अनियमितता के आरोप में पद से हटा दिया था. डीडीसीए के संविधान में अध्यक्ष को हटाने का नियम नहीं है इसलिए वो अब नाम भर के अध्यक्ष हैं जबकि काम सीके खन्ना और चेतन चौहान देख रहे हैं.
डीडीसीए पर अनियमितता के क्या हैं आरोप ?
डीडीसीए में अनियमितता पर दिल्ली सरकार के विजिलेंस विभाग ने चेतन सांघी को जांच की जिम्मेदारी सौंपी थी. सांघी ने हाल में अपनी रिपोर्ट पेश की जिसमें उन्होंने
डीडीसीए में घोटालों का खुलासा किया है. रिपोर्ट में 2002 से अब तक की जांच की गई है.
डीडीसीए ने फ़िरोज़शाह कोटला के दोबारा निर्माण का फैसला लिया था जो 2002 से 2007 तक चला. इस पर 24 करोड़ ख़र्च होने थे पर ख़र्च 114 करोड़ रुपए हुए. रिपोर्ट में कहा गया है कि स्टेडियम के अधिकतर कामों के लिए टेंडर निकालने का कोई रिकॉर्ड नहीं है. इसके इलावा डीडीसीए ने स्टेडियम में 12 कॉर्पोरेट बॉक्स बनाए जो उचित प्रक्रिया के बिना कंपनियों को लीज़ कर दिए गए.
रिपोर्ट के अनुसार स्टेडियम के निर्माण में शामिल अधिकतर कंपनियां डीडीसीए के अधिकारियों की ‘फ्रंट’ कंपनियां हैं इसीलिए बजट जान-बूझकर कई गुना बढ़ाया गया. डीडीसीए फ़िरोज़शाह स्टेडियम को शहरी विकास मंत्रालय से लीज़ पर लेकर चलाता है. इसके बदले डीडीसीए मंत्रालय को हर साल लगभग 25 लाख रुपए देता है. मंत्रालय को आज की दर से 16 करोड़ रुपए सालाना मिलने चाहिए. रिपोर्ट के अनुसार इस विवाद के कारण डीडीसीए के पास स्टेडियम चलाने के लिए फिलहाल कोई लीज़ नहीं है.