महाकुंभ के महामंच सम्मेलन में अटल अखाड़ा के आचार्य विश्वातमानंद सरस्वती जी ने सनातन धर्म के बारे में बात की। उन्होंने धर्मांतरण और उसके कारण बताए। आचार्य न कहा कि अधिकतर यही सुनने में आता है कि ड्रिंक कराओ और धर्म बदल लो।
लखनऊ। प्रयागराज में ITV नेटवर्क की तरफ से महाकुंभ का महामंच सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। इस सम्मेलन में सनातन धर्म के कई अखाड़ों के संत आए हैं। सम्मेलन का उद्देश्य सनातन संस्कृति पर चर्चा करना और महाकुंभ के महत्व को समझना है। सम्मेलन में अटल अखाड़ा के आचार्य विश्वातमानंद सरस्वती जी ने सनातन धर्म के बारे में बात की। उन्होंने धर्मांतरण और उसके कारण बताए। आचार्य न कहा कि अधिकतर यही सुनने में आता है कि ड्रिंक कराओ और धर्म बदल लो। उन्होंने आगे बताया कि वह एक व्यक्ति को जानते हैं जिसने बताया कि जब से उसने धर्म बदला है उसे पीने की कमी नहीं हुई। उन्होंने धर्मांतरण के लिए युवाओं को भी जिम्मेदार ठहराया।
आचार्य विश्वातमानंद सरस्वती ने बताया कि सनातन में धर्मांतरण जैसी कोई अवधारणा नहीं है। सनातन धर्म कहता है कि लोगों को उनका धर्म उनके पूर्वजों से मिला है और उन्हें पारंपरिक धर्म का पालन करना चाहिए। हालांकि ज्यादातर लोग धर्म बदलते है तो इसे अपना निजी मामला मानते हैं। आचार्य ने बताया कि जब लोग आध्यात्मिक यात्रा पर होते है, तो वे नए संदेशों और धार्मिक विचारों में बदलाव के कारण अपना धर्म बदल लेते हैं। सनातन धर्म में कोई व्यक्ति अपना धर्म बदलना चाहता है या नहीं, यह उसका निजी फैसला है।
आचार्य धर्मांतरण के कारण के बारे में भी बताया। आचार्य ने कहा समाज में असमानता के कारण लोग धर्म परिवर्तन करते हैं। उच्च जाति के लोगों और समाज के कमजोर वर्गों के बीच संवाद की कमी के कारण लोग धर्म परिवर्तन करते हैं। धर्मांतरण कराने के लिए लालच दिया जाता है, वित्तीय प्रलोभन दिया जाता है। कुछ लोग बलपूर्वक भी धर्म परिवर्तन कराते हैं।
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