आपने हमेशा अपने घर में बड़े-बुजुर्गों को ये कहते सुना होगा की कभी भी निर्वस्त्र होकर स्नान नहीं करना चाहिए। बिना कपड़ों के स्नान से शरीर में नकारात्मकता का प्रवेश होता है। जिसके कारण व्यक्ति की मानसिकता भी नकारात्मक हो जाती है।
नई दिल्ली: आपने हमेशा अपने घर में बड़े-बुजुर्गों को ये कहते सुना होगा की कभी भी निर्वस्त्र होकर स्नान नहीं करना चाहिए। बिना कपड़ों के स्नान से शरीर में नकारात्मकता का प्रवेश होता है। जिसके कारण व्यक्ति की मानसिकता भी नकारात्मक हो जाती है। साथ ही इससे माता लक्ष्मी भी आपसे रुष्ट सकती हैं।
स्नान करना हमारी दिनचर्या का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह तन को तो साफ करता ही है। इसके साथ ही इससे नए दिन की शुरुआत करने के लिए अच्छी ऊर्जा भी मिलती है। हिन्दू धर्म के अनुसार स्नान को लेकर भी कुछ नियम बताए गए हैं। उन्हीं में से एक नियम निर्वस्त्र स्नान न करना भी हैं। इसलिए नहाते समय कोई एक कपड़ा शरीर पर जरूर धारण करें। आइए जानते हैं इस नियम के पीछे छिपे धार्मिक कारण।
लोग इसलिए भी निर्वस्त्र होकर नहाते हैं कि उन्हें कोई देख नहीं रहा, लेकिन सच तो यह है कि ईश्वर आपको हर स्थान पर देख सकते हैं। ऐसा करना वरुण देवता का अपमान माना जाता है। इससे वरुण देवता आपसे रुष्ट हो सकते हैं और आपको पाप लग सकता है। जिसके कारण आपको संकटों का सामना भी करना पड़ सकता है।
गरुड़ पुराण में कहा गया है कि निर्वस्त्र स्नान करने से आपको पितृ दोष भी लग सकता है। क्योंकि हिंदू मान्यताओं के अनुसार, हमारे मृत पूर्वज हमारे आस-पास ही मौजूद रहते हैं। निर्वस्त्र स्नान करने से उनकी आत्मा को शांति नहीं मिलती। जो पितृ दोष का कारण बन सकता है। वहीं पद्मपुराण के अनुसार, नहाने वाला पानी पूर्वजों के हिस्से में जाता है। ऐसे निर्वस्त्र होकर नहाने से इसे पितरों के सामने बिना कपड़ों के नहाना ही समझा जाता है।
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