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पूर्व PM मनमोहन सिंह को नहीं आती थी हिंदी, उर्दू में लिखे होते थे भाषण, जानें क्या था कनेक्शन?

पंजाब का वह क्षेत्र जहां मनमोहन सिंह ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की, आज पाकिस्तान का हिस्सा है. उनकी शिक्षा उर्दू माध्यम से शुरू हुई, इसीलिए वे उर्दू अच्छी तरह पढ़ और लिख सके. वह उर्दू लिपि के अलावा पंजाबी भाषा की गुरुमुखी लिपि में भी लिखते थे.

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  • December 27, 2024 1:00 pm Asia/KolkataIST, Updated 1 day ago

नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन के बाद पूरे देश में शोक की लहर है. बता दें कि मनमोहन सिंह अपने हिंदी भाषण उर्दू लिपि में लिखते थे और इसकी एक खास वजह थी. वह उर्दू के अलावा पंजाबी भाषा की गुरुमुखी लिपि और इंग्लिश में भी लिखते थे. आइए आगे जानते हैं क्या थी खास वजह.

उर्दू में क्यों लिखते थे भाषण?

पंजाब का वह क्षेत्र जहां मनमोहन सिंह ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की, आज पाकिस्तान का हिस्सा है. उनकी शिक्षा उर्दू माध्यम से शुरू हुई, इसीलिए वे उर्दू अच्छी तरह पढ़ और लिख सके. वह उर्दू लिपि के अलावा पंजाबी भाषा की गुरुमुखी लिपि में भी लिखते थे. मनमोहन सिंह हिंदी नहीं पढ़ पाते हैं. उनके सभी भाषण उर्दू में ही लिखे होते थे. ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ की किताब में लिखा था कि मनमोहन सिंह हिंदी में बात तो कर सकते थे लेकिन कभी देवनागरी लिपि या हिंदी भाषा में पढ़ना नहीं सीखा. हालांकि, उर्दू पढ़ना उन्हें बखूबी आता था. इसी वजह से मनमोहन सिंह अपने भाषण अंग्रेज़ी में दिया करते थे. उन्हें अपना पहला हिंदी भाषण देने के लिए तीन दिन तक प्रैक्टिस करनी पड़ी थी.

कहां हुआ था जन्म?

26 सितंबर, 1932 को अविभाजित भारत था, जो अब पाकिस्तान का हिस्सा है. पंजाब प्रांत के गाह गांव में गुरमुख सिंह और अमृत कौर के घर जन्मे मनमोहन सिंह ने 1948 में पंजाब विश्वविद्यालय से अपनी मैट्रिक की परीक्षा पूरी की. उनका शैक्षणिक करियर उन्हें पंजाब से कैंब्रिज विश्वविद्यालय, यूके ले गया, जहां उन्होंने 1957 में अर्थशास्त्र में प्रथम श्रेणी ऑनर्स की डिग्री प्राप्त की. इसके बाद, मनमोहन सिंह ने 1962 में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के नफ़िल्ड कॉलेज से अर्थशास्त्र में डी.फिल की डिग्री प्राप्त की।

सादगी और गहन विचारशीलता

मनमोहन सिंह 2004 से 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे. प्रधानमंत्री बनने से पहले उन्होंने अपनी सादगी और गहरी विचारशीलता से भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान बनाया था. उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत ने वैश्विक मंच पर नये सिरे से अपनी पहचान बनानी शुरू की. उनके नेतृत्व में भारत ने अमेरिका के साथ परमाणु समझौता किया, जो देश के लिए महत्वपूर्ण था. इस समझौते ने वैश्विक परमाणु शक्ति के रूप में भारत की स्थिति को और मजबूत किया।

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