सर्च इंजन को लेकर एप्पल और गूगल के बीच एक अहम कॉन्ट्रैक्ट है। इसके तहत गूगल आईफोन, आईपैड और मैकबुक जैसे एप्पल के डिवाइस में डिफॉल्ट सर्च इंजन बने रहने के लिए हर साल अरबों डॉलर का भुगतान करता है।
नई दिल्ली : अमेरिका में गूगल के खिलाफ चल रही एंटी-ट्रस्ट सुनवाई ने इंटरनेट सर्च और टेक इंडस्ट्री में हलचल मचा दी है। इस मामले में गूगल के क्रोम ब्राउजर और एंड्रॉयड सेवाओं को अलग करने का प्रस्ताव रखा गया है। अब इस मामले में टेक दिग्गज एप्पल ने भी अपना पक्ष रखा है और कहा है कि वह सर्च इंजन के लिए सिर्फ गूगल पर निर्भर नहीं रह सकता।
सर्च इंजन को लेकर एप्पल और गूगल के बीच एक अहम कॉन्ट्रैक्ट है। इसके तहत गूगल आईफोन, आईपैड और मैकबुक जैसे एप्पल के डिवाइस में डिफॉल्ट सर्च इंजन बने रहने के लिए हर साल अरबों डॉलर का भुगतान करता है। 2022 में ही एप्पल को इस कॉन्ट्रैक्ट के तहत 20 अरब डॉलर का भुगतान किया गया।
एपल ने कोर्ट में साफ कर दिया है कि गूगल से मिलने वाले रेवेन्यू के बावजूद वह इस एंटी-मोनोपॉली सुनवाई में तटस्थ रहेगा। कंपनी के वकीलों ने यह भी साफ कर दिया कि एप्पल सर्च इंजन के क्षेत्र में गूगल से प्रतिस्पर्धा नहीं करना चाहता। एप्पल ने अपनी याचिका में कहा है कि वह अप्रैल 2025 में शुरू होने वाली सुनवाई में अपने गवाहों को पेश करेगा।
एंटी-ट्रस्ट मामले में अभियोजकों का दावा है कि इंटरनेट सर्च के क्षेत्र में गूगल का एकाधिकार प्रतिस्पर्धा को खत्म कर रहा है। उनकी मांग है कि गूगल के क्रोम ब्राउजर और एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम को कंपनी से अलग कर दिया जाए। अगर ऐसा होता है तो ऑनलाइन सर्च इंडस्ट्री में नए खिलाड़ियों के लिए जगह बनेगी। हालांकि, इससे गूगल को भारी वित्तीय नुकसान होने की संभावना है।
इस सुनवाई का इंटरनेट सर्च इंडस्ट्री और गूगल की सेवाओं पर गहरा असर पड़ सकता है। यह मामला गूगल के लिए न सिर्फ आर्थिक दृष्टि से बल्कि उसकी बाजार स्थिति के लिए भी चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है।
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