भारत के दसवें प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने न सिर्फ नेता के रूप में लोगों का दिल जीता बल्कि वे अपनी कविताओं और पत्रकारिता के लिए जाने जाते थे। उनका जन्म 25 दिसंबर 1924 को हुआ था। वाजपेयी पहली बार 13 दिनों के लिए, दूसरी बार आठ महीने के लिए और तीसरी बार पांच साल के लिए प्रधानमंत्री बने। जब वे पहली बार प्रधानमंत्री बने तो उनकी सरकार सिर्फ एक वोट से गिर गई थी।
नई दिल्लीः भारत के दसवें प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने न सिर्फ नेता के रूप में लोगों का दिल जीता बल्कि वे अपनी कविताओं और पत्रकारिता के लिए जाने जाते थे। उनका जन्म 25 दिसंबर 1924 को हुआ था। तीन बार भारत के प्रधानमंत्री रहे अटल बिहारी वाजपेयी की भाषण शैली इतनी शानदार थी कि नरसिम्हा राव ने उन्हे विपक्ष का नेता होते हुए भी यूनाइटेड नेशन में भारत का प्रतिनिधित्व करने भेजा था।
वाजपेयी पहली बार 13 दिनों के लिए, दूसरी बार आठ महीने के लिए और तीसरी बार पांच साल के लिए प्रधानमंत्री बने। जब वे पहली बार प्रधानमंत्री बने तो उनकी सरकार सिर्फ़ एक वोट से गिर गई थी। जी हां, यह वाक्या है 1999 का जब तमिलनाडू की तत्कालीन मुख्यमंत्री जयललिता ने एनडीए से अपनी पार्टी का एक गठबंधन तोड़ लिया था और वाजपेयी सरकार को विश्वास मत साबित करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
1998 के लोकसभा चुनाव में किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिल पाया था। हालांकि, एनडीए ने एआईएडीएमके के समर्थन से केंद्र में सरकार बनाई। यह गठबंधन सरकार किसी तरह करीब 13 महीने चली। इसी बीच दिवंगत नेता जयललिता की पार्टी एआईएडीएमके ने वाजपेयी सरकार से समर्थन वापस ले लिया, जिससे केंद्र सरकार अल्पमत में आ गई। राष्ट्रपति ने वाजपेयी सरकार को बहुमत साबित करने को कहा। इसके बाद जैसे ही सरकार ने विश्वास प्रस्ताव रखा, संसद के गलियारों में हंगामा मच गया।
17 अप्रैल 1999 को लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग हुई। इस दौरान वाजपेयी सरकार एक वोट से हार गई और उसे सत्ता से हाथ धोना पड़ा। कहा जाता है कि गिरधर गमांग ने सरकार के खिलाफ वोट दिया था। गमांग ने कांग्रेस सदस्य के तौर पर सरकार के खिलाफ वोट दिया था। यह दिलचस्प है कि वाजपेयी सरकार को गिराने वाले गिरधर गमांग बाद में भाजपा में शामिल हो गए थे।
अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग के दौरान बसपा सुप्रीमो मायावती पर भी लोगों की नजरें टिकी थी। एनडीए की तरफ से भाजपा सांसद रंगराजन कुमारमंगलम ने मायावती से मुलाकात की। उन्होंने मायावती को विश्वास दिलाया कि उनके अनुसार काम करने पर वह शाम तक यूपी की मुख्यमंत्री बन जाएंगी। वोटिंग के दौरान मायावती ने अपने सांसदों की ओर देखा और जोर से चिल्लाई ‘लाला बटन दबाओ’। इसके बाद तो लोग हैरान रह गए। मायावती ने वाजपेयी सरकार के खिलाफ वोट किया। वाजपेयी सरकार को 269 वोट पड़े और विपक्ष को 270।
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