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कनाडा, पनामा, ग्रीनलैंड व WHO को क्यों धमका रहे ट्रंप, सिर्फ हेकड़ी दिखा रहे या मंशा कुछ और…

अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप शपथ ग्रहण से पहले ही कनाडा, पनामा, ग्रीनलैंड व WHO को अपने अंदाज में धमका रहे हैं. आखिर क्या चाहते हैं ट्रंप, क्या वह वास्तव में ऐसा करने में कामयाब होंगे या रणनीति कुछ और है.

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Donald Trump, Greenland & Panama Canal
  • December 24, 2024 9:37 pm Asia/KolkataIST, Updated 24 hours ago

नई दिल्ली. अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 20 जनवरी को नये राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेंगे. उससे पहले ही अपने अंदाज में उन्होंने दुनिया को धमकाना शुरू कर दिया है. कभी वह कनाडा व ग्रीनलैंड को अपने देश का हिस्सा बनाने की बात कर रहे हैं तो कभी पनामा नहर पर कब्जा करने की बात कहते हैं.

WHO से हट सकता है अमेरिका

ताजा खबर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को लेकर है. जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी में वैश्विक स्वास्थ्य के प्रोफेसर और डब्ल्यूएचओ के नेशनल एवं ग्लोबल हेल्थ लॉ सेंटर के निदेशक लॉरेंस गॉस्टिन ने के हवाले से कहा गया है कि ट्रंप आते ही डब्ल्यूएचओ से हटने की घोषणा करेंगे. कोरोना काल में भी वह इस संस्था से नाराज दिखे थे और कहा था कि WHO चीन के प्रभाव में काम कर रहा है.

ट्रंप की नाराजगी इसलिए भी मायने रखती है कि इस संस्था को सबसे ज्यादा फंड अमेरिका देता है. उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन को पक्षपाती बताया था और कोरोना को चीनी वायरस कहा था. उनकी नाराजगी इस बात को लेकर थी कि इस संस्था ने कोरोना फैलने के लिए चीन को जिम्मेदार नहीं ठहराया और न ही चीन के खिलाफ कोई कार्रवाई की. यहां तक कि चीन ने उसकी जांच टीम से भी सहयोग नहीं किया, फिर भी डब्ल्यूएचओ मौन रहा.

ग्रीनलैंड को खरीदना चाहते हैं ट्रंप

तरह से ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में ग्रीनलैंड में दिलचस्पी दिखाई थी. 2019 में उन्होंने स्वायत्त डेनिश क्षेत्र को खरीदने का इरादा जताया. उन्होंने इस द्वीप के रणनीतिक महत्व और प्राकृतिक संसाधनों का हवाला दिया था। हालांकि तत्कालीन डेनिश प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिकसेन ने ट्रंप के सुझाव को बकवास कहकर ठुकरा दिया था. ग्रीनलैंड के तत्कालीन प्रधानमंत्री म्यूटे एगेडे ने भी तुरंत जवाब दिया था कि ग्रीनलैंड हमारा है. हम बिक्री के लिए नहीं हैं और कभी भी बिक्री के लिए नहीं होंगे। हमें स्वतंत्रता के लिए अपने लंबे संघर्ष को नहीं खोना चाहिए.

ट्रंप की आदत है कि वह जो सोच लेते हैं उसे पूरे दमखम से दोहराते रहते हैं और संबंधित पक्ष को मानसिक तौर पर कमजोर कर देते हैं. ग्रीनलैंड, डेनमार्क का ही हिस्सा है और यहां डेनमार्क की करेंसी डेनिसक्रोना चलती है. यह दुनिया का सबसे बड़ा द्वीप है और आर्कटिक व अटलांटिक महासागर के बीच में स्थित है. बर्फ की चादर और ग्लेशियरों से ढका बहुत बड़ा क्षेत्र है लेकिन कृषि योग्य भूमि और आबादी बहुत कम है. यहां पर अमेरिकी बैलिस्टिक मिसाइल के अर्ली वॉर्निंग सिस्टम का रडार स्टेशन है. भू-राजनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण है इसलिए ट्रंप खरीदने की बात करते रहते हैं.

पनामा नहर पर कब्जा कर लेंगे

अटलांटिक और प्रशांत महासागरों को जोड़ने वाली पनामा नहर पर भी ट्रंप की नजर है. इस नहर को 20वीं सदी की शुरुआत में अमेरिका ने बनाया था 1999 में अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर द्वारा हस्ताक्षरित एक संधि के तहत इस नहर को पनामा को सौंप दिया गया था। ट्रंप ने पनामा द्वारा अमेरिकी जहाजों पर लगाए गए अत्यधिक शुल्क की आलोचना करते हुए और नहर को वापस करने की मांग की थी।

उसके बाद ट्रंप ने सोशल मीडिया पर नहर पर अमेरिकी झंडे की एक तस्वीर पोस्ट करते हुए कैप्शन लिखा संयुक्त राज्य नहर में आपका स्वागत है. व्यापार के लिहाज से यह नहर काफी महत्वपूर्ण है. पनामा के राष्ट्रपति जोस राउल मुलिनो ने ट्रंप को तत्काल जवाब दिया पनामा नहर और उसके आस-पास का हर वर्ग मीटर पनामा का है.

कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बनाएंगे

डोनाल्ड ट्रंप कनाडा को भी बख्शने के मूड में नहीं दिखते हैं. उन्होंने कना़डा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को पहला गवर्नर कहकर संबोधित किया. ट्रंप ने जस्टिन ट्रूडो के साथ मार-ए-लागो में भोजन करने के बाद उसे अमेरिका का 51वां राज्य बनाने की संभावना के बारे में पूछा, बाद में मजाक वाली बात कह दी. ट्रंप यहीं नहीं रुके उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर डाला कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बनाना चाहिए, यह एक बढ़िया विचार है. इससे पहले ट्रंप ने राष्ट्रपति बनते ही कनाडा पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की धमकी दी थी. कनाडा के साथ उन्होंने चीन और भारत जैसे देशों पर भी टैरिफ लगाने की धमकी दे चुके हैं.

ट्रंप मजाक नहीं मंशा प्रदर्शित करते हैं

ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर अमेरिका के नव निर्वाचित राष्ट्रपति ट्रंप चाहते क्या हैं. दरअसल वह कोई बात मजाक में नहीं कहते हैं, जो मजाक की बात करते हैं उसमें उनकी मंशा छिपी रहती है और सामने वाले को सोचने को मजबूर कर देते हैं कि वह ऐसा भी कर सकते हैं. पहले कार्यकाल से ही वह आक्रामक रहे हैं और किसी से टकराने की बजाय  दबाव में लेकर काम निकालना जानते हैं.

ट्रंप बिजनेसमैन हैं और अर्थ की भाषा को जानते हैं, उनकी मंशा अमेरिका के व्यापारिक, कारोबारी, आर्थिक हितों को बढ़ाना और अधिक से अधिक सुरक्षित करना है. कई फ्रंट पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन कमजोर साबित हुए हैं इसलिए वह अपने अंदाज में अपनी मजबूती का प्रदर्शन कर रहे हैं. यह प्रदर्शन सकारात्मक साबित होगा या नकारात्मक यह वक्त बताएगा.

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