संसद के शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन प्रियंका गांधी वाड्रा और बीजेपी सांसद अपराजिता सारंगी के बीच अनोखा विवाद सामने आया. यह घटना तब हुई जब सारंगी ने प्रियंका को एक बैग दिया जिस पर 'सिखों का नरसंहार' और '1984' लिखा हुआ था।
नई दिल्ली: संसद के शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन प्रियंका गांधी वाड्रा और बीजेपी सांसद अपराजिता सारंगी के बीच अनोखा विवाद सामने आया. यह घटना तब हुई जब सारंगी ने प्रियंका को एक बैग दिया जिस पर ‘सिखों का नरसंहार’ और ‘1984’ लिखा हुआ था। यह संदेश 1984 के सिख नरसंहार की ओर इशारा करता है, जिसके लिए राजीव गांधी सरकार को जिम्मेदार ठहराया गया था। प्रियंका ने पहले तो बैग स्वीकार किया और उन्हें धन्यवाद दिया, लेकिन मैसेज पढ़ने के बाद उन्होंने नाराजगी जताई और कहा, ‘मेरे साथ ऐसा मत करो।
भुवनेश्वर की सांसद और पूर्व आईएएस अधिकारी अपराजिता सारंगी ने प्रतीकात्मक संदेश देने के उद्देश्य से प्रियंका को यह बैग सौंपा. उन्होंने कहा कि यह कांग्रेस को उसके इतिहास के प्रति उसकी जिम्मेदारी याद दिलाने का प्रयास है. यह घटना तब हुई जब कुछ दिन पहले प्रियंका गांधी फिलिस्तीन और बांग्लादेश के मुद्दों पर लिखे संदेशों से भरा बैग लेकर संसद में दाखिल हुई थीं. हालांकि बीजेपी ने इस घटना को प्रियंका के रुख पर सवाल उठाने के मौके के तौर पर लिया.
बता दें कि इस पूरी घटना का वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है इसमें प्रियंका गांधी और अपराजिता सारंगी की तीखी प्रतिक्रिया साफ देखी जा सकती है. यह विवाद कांग्रेस और बीजेपी के बीच चल रहे पुराने राजनीतिक तनाव को और हवा देता नजर आ रहा है. वीडियो में प्रियंका गांधी सख्त लहजे में चेतावनी देती हुई सुनाई दीं. यह विवाद सिर्फ बैग तक ही सीमित नहीं है, बल्कि प्रतीकों के जरिए राजनीतिक संदेश देने की कोशिश थी. बीजेपी ने इसे कांग्रेस के खिलाफ बड़ा हथियार बनाया तो कांग्रेस ने इसे बीजेपी की रणनीति करार दिया.
#WATCH | Delhi | BJP MP Aparajita Sarangi gave a bag with ‘1984’ purportedly written on it to Congress MP Priyanka Gandhi Vadra
(Source: BJP) pic.twitter.com/oiudvpMCce
— ANI (@ANI) December 20, 2024
इस घटनाक्रम ने 1984 के सिख नरसंहार और उससे जुड़े राजनीतिक मुद्दों को एक बार फिर चर्चा में ला दिया है. संसद सत्र के आखिरी दिन इस बैग विवाद ने न सिर्फ हंगामा मचाया, बल्कि दोनों पार्टियों के बीच सियासी बयानबाजी भी तेज हो गई. यह घटना बताती है कि राजनीति में प्रतीकों और संदर्भों की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण है.
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