अतुल सुभाष नेआत्महत्या से पहले वीडियो में घरेलू विवाद के बारे में बताया और कहा कि उन्हें अत्यधिक मानसिक उत्पीड़न झेलना पड़ा। इस मामले के बाद अब जांच शुरू हो गई है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि अतुल जैसे लोग अकेले नहीं हैं?
नई दिल्ली : बेंगलुरु में एक दुखद घटना सामने आई, जहां एक AI इंजीनियर ने आत्महत्या कर ली। मृतक की पहचान अतुल सुभाष के रूप में हुई, जो एक निजी कंपनी में AI इंजीनियर के तौर पर काम करते थे। आत्महत्या से पहले उन्होंने एक वीडियो पोस्ट किया और 24 पन्नों का सुसाइड नोट लिखा, जिसमें अपनी पत्नी और ससुरालवालों पर प्रताड़ना का आरोप लगाया। वीडियो में उन्होंने अपने घरेलू विवाद के बारे में बताया और कहा कि उन्हें अत्यधिक मानसिक उत्पीड़न झेलना पड़ा। इस मामले के बाद अब जांच शुरू हो गई है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि अतुल जैसे लोग अकेले नहीं हैं?
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के अनुसार, महिलाओं की तुलना में ज्यादा पुरुष आत्महत्या करते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में 1.64 लाख लोगों ने आत्महत्या की, जिनमें 81,063 विवाहित पुरुष और 28,680 विवाहित महिलाएं थीं। वहीं, 2022 में 1.70 लाख से अधिक आत्महत्याएं हुईं, जिनमें 1.22 लाख से ज्यादा पुरुष थे। इसका मतलब है कि हर दिन औसतन 336 पुरुष आत्महत्या करते हैं। WHO के अनुसार, हर साल दुनिया भर में 7 लाख से अधिक लोग आत्महत्या से मर जाते हैं, जो मलेरिया, कैंसर, या एचआईवी से ज्यादा है।
भारतीय पुरुषों को भी घरेलू हिंसा का शिकार होना पड़ता है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 के आंकड़ों के अनुसार, 18 से 49 साल की 10% महिलाओं ने माना कि उन्होंने अपने पतियों पर हाथ उठाया, बिना किसी हिंसा के। इस संबंध में कई संगठनों के शोध से यह सामने आया कि 98% भारतीय पुरुषों ने तीन साल के रिश्ते में कम से कम एक बार घरेलू हिंसा का सामना किया। लेकिन, ज्यादातर पुरुष अपनी बात पुलिस तक नहीं पहुंचा पाते, क्योंकि वे सामाजिक दबाव और आत्मसम्मान के कारण चुप रहते हैं।
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने दहेज उत्पीड़न के मामलों में पति और उसके परिवार के खिलाफ झूठे मुकदमे दायर करने को लेकर चेतावनी दी है। इस संदर्भ में एक स्वयंसेवी संस्था ने 2016 में एक ऐप ‘सिफ’ लॉन्च किया, जो ऐसे पुरुषों को कानूनी सहायता प्रदान करता है।
यह समस्या सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि दुनिया भर में पुरुषों के खिलाफ घरेलू हिंसा की समस्या बढ़ रही है। यूनाइटेड किंगडम, अमेरिका, मेक्सिको और अफ्रीकी देशों में भी घरेलू हिंसा के मामलों में पुरुष पीड़ित पाए गए हैं। इस स्थिति के प्रति जागरूकता बढ़ाने और सही मदद मुहैया कराने की जरूरत है।
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