अमित शाह ने संसद में कहा, 'ये लोग कहते हैं कि मुस्लिम पर्सनल लॉ का अधिकार मिले तो हमें आपत्ति नहीं है, पूरा शरिया लागू करिए। सजा भी शरिया कानून के हिसाब से होनी चाहिए।
नई दिल्लीः केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को राज्यसभा में ‘भारत के संविधान की गौरवशाली यात्रा के 75 वर्ष’ विषय पर चर्चा में हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने मुस्लिम पर्सनल लॉ और धर्म के आधार पर आरक्षण को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा। यूसीसी पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ से देश में तुष्टीकरण की शुरुआत हुई।
अमित शाह ने कहा, ‘हमारे संविधान के राज्य नीति के सिद्धांतों के निर्देशक भाग 4 के अनुच्छेद 44 में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) की बात की गई है। हमारे संविधान का ढांचा धर्मनिरपेक्ष है। हर जाति, हर धर्म, हर समुदाय के लोगों के लिए समान कानून होना चाहिए, हमारा संविधान इसका पक्षधर है। यह यूसीसी क्यों नहीं आया। यूसीसी इसलिए नहीं आया क्योंकि संविधान सभा के खत्म होने के बाद, पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू मुस्लिम पर्सनल लॉ लेकर आए और यूसीसी नहीं आया।’
अमित शाह ने कहा, ‘ये लोग कहते हैं कि अगर हमें मुस्लिम पर्सनल लॉ का अधिकार मिल जाए तो हमें कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन पूरा शरीयत भी लागू कर दीजिए। आपने क्रिमिनल लॉ से शरीयत क्यों हटा दी? चोरी करने पर हाथ काट देंगे, महिला के खिलाफ जघन्य अपराध करने पर पत्थर मारकर मार देंगे, देशद्रोहियों को सड़क पर सूली पर चढ़ा देंगे। शादी के लिए पर्सनल लॉ, वारिसों के लिए पर्सनल लॉ और क्रिमिनल शरीयत क्यों नहीं? अगर देना ही है तो पूरा शरीयत कानून दे देते। वहीं से तुष्टीकरण शुरू हुआ। मुस्लिम पर्सनल लॉ संविधान आने के बाद तुष्टीकरण की शुरुआत है।’ उन्होंने कहा, ‘मैं कांग्रेस पार्टी से पूछना चाहता हूं कि धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र में सभी धर्मों के लिए कानून होना चाहिए या नहीं। क्या आप मुस्लिम पर्सनल लॉ का समर्थन करते हैं?’
ये भी पढ़ेंः- यौन उत्पीड़न मामलों में सियासी पार्टियों पर भी लगेगा का कानून का फंदा! POSH एक्ट…
पटना में BPSC अभ्यार्थियों का हल्लाबोल, परीक्षा रद्द करने की मांग पर भारी बवाल