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2034 के बाद एक साथ सभी चुनाव कराने की तैयारी, लोकसभा में पेश होगा वन नेशन वन इलेक्शन बिल

'वन नेशन वन इलेक्शन' विधेयक 16 दिसंबर को लोकसभा में पेश किया जाएगा। सरकार ने विधेयक को लोकसभा सदस्यों को भेज दिया है।

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2034 के बाद एक साथ सभी चुनाव कराने की तैयारी, लोकसभा में पेश होगा वन नेशन वन इलेक्शन बिल
  • December 14, 2024 5:42 pm Asia/KolkataIST, Updated 15 hours ago

नई दिल्ली : ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ के लिए सोमवार (16 दिसंबर) को लोकसभा में ‘संविधान (129वां संशोधन) विधेयक’ पेश किया जाएगा। कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल इस विधेयक को संसद में पेश करेंगे। इसके अलावा केंद्र शासित प्रदेश (संशोधन 1) विधेयक भी पेश किया जाएगा। मोदी कैबिनेट ने 12 दिसंबर को ‘एक देश एक चुनाव’ विधेयक को मंजूरी दी थी।

एक साथ चुनाव

इस विधेयक में 2034 के बाद एक साथ चुनाव कराने का प्रस्ताव है। सरकार ने विधेयक का मसौदा लोकसभा सदस्यों को भेज दिया है। विधेयक के जरिए संविधान में 129वां संशोधन किया जाएगा और केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली और जम्मू-कश्मीर के कानून में बदलाव किया जाएगा। सरकार संबंधित विधेयक को संसद में पेश कर संविधान के चार अनुच्छेदों में संशोधन का प्रस्ताव रखेगी। ये चार अनुच्छेद 82ए, 83, 172, 327 हैं।

नया संशोधन

संविधान संशोधन विधेयक में एक नया अनुच्छेद 82ए (लोकसभा और सभी विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव) जोड़ने और अनुच्छेद 83 (संसद के सदनों का कार्यकाल), अनुच्छेद 172 (राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल) और अनुच्छेद 327 (में संशोधन करने का प्रस्ताव है। सरकार ने एक साथ चुनाव कराने के लिए केंद्र शासित प्रदेश सरकार अधिनियम और एनसीटी सरकार की धारा 5 में संशोधन करने का प्रस्ताव किया है। इसी तरह, जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम की धारा 17 में भी संशोधन किया जाएगा।

कोविंद समिति की रिपोर्ट

भारत के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन 2 सितंबर 2023 को किया गया था। इसका उद्देश्य एक साथ चुनाव कराने के लिए सिफारिशें करना था। कोविंद समिति ने 14 मार्च 2024 को राष्ट्रपति को अपनी सिफारिशें सौंपी, जिसमें लोकसभा और सभी विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश की गई।

कोविंद समिति ने देश में एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश की है। पहले चरण में 100 दिनों में लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराने की सिफारिश की गई थी। स्थानीय निकाय चुनाव भी 100 दिनों के भीतर कराने की सिफारिश की गई थी। इस समिति में रामनाथ कोविंद समेत आठ सदस्य थे।

 

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