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Mahakumbha: चांदी के सिंहासन पर सवार होंगे अखाड़े के महामंडलेश्वर, जानिए क्या है शाही पेशवाई?

पेशवाई इष्टदेव और निशान के नेतृत्व में ही निकाली जाएगी. पेशवाई प्रयागराज के यमुना ब्रिज स्थित अखाड़े से शाही अंदाज में निकलेगी. पंच परमेश्वर के अलावा गाजे-बाजे के साथ हाथी-घोड़े भी होंगे.

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Mahakumbha: चांदी के सिंहासन पर सवार होंगे अखाड़े के महामंडलेश्वर, जानिए क्या है शाही पेशवाई?
  • December 14, 2024 11:38 am Asia/KolkataIST, Updated 4 days ago

नई दिल्ली: जूना अखाड़े की महाकुंभ की पहली पेशवाई 14 दिसंबर यानी आज है. इसमें किन्नर अखाड़ा भी शामिल होगा. काशी से साधु-संत पहुंचे हैं. पेशवाई इष्टदेव और निशान के नेतृत्व में ही निकाली जाएगी. पेशवाई प्रयागराज के यमुना ब्रिज स्थित अखाड़े से शाही अंदाज में निकलेगी. पंच परमेश्वर के अलावा गाजे-बाजे के साथ हाथी-घोड़े भी होंगे. इष्टदेव दत्तात्रेय की प्रतिमा एवं प्रतीक चिन्ह भाले से निर्मित किये गये हैं. इसमें हिस्सा लेने के लिए काशी में मौजूद 13 अखाड़ों के साधु-संत भी पहुंचे हैं. पेशवाई जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि के नेतृत्व में निकलेगी. संरक्षक हरि गिरि और अध्यक्ष महंत प्रेमगिरि महाराज व्यवस्था संभालेंगे.

चांदी के सिंहासन

आज सुबह 11 बजे संत लाव लश्कर के साथ महाकुंभ शिविर के लिए प्रस्थान हुए. जूना के संत मौजगिरि आश्रम से त्रिवेणी मार्ग अखाड़े की छावनी के लिए प्रस्थान करेंगे. पेशवाई छावनी में संत, महंत, महामंडलेश्वर, जगद्गुरु और नागा संत होंगे. पेशवाई शाही अंदाज में रथों, बग्घियों और घोड़ों पर सवार होकर निकलेगी. आह्वान अखाड़े की पेशवाई 22 दिसंबर को निकलेगी. 10 जनवरी से पहले सभी अखाड़ों की पेशी होगी. इसके बाद शाही स्नान शुरू होगा. इस कार्यक्रम में पंजाब, दिल्ली, हरियाणा और उत्तराखंड के डीजे और बैंड भी भाग लेंगे. अखाड़े के महामंडलेश्वर चांदी के सिंहासन पर सवार होंगे. सबसे आगे घोड़ों पर सवार होकर नागा साधु निकलेंगे।

जानें क्या है पेशवाई?

कुंभ में अखाड़ों का प्रदर्शन बेहद खास होता है. पेशवाई का मतलब है शाही ठाठबाट के साथ साधु-संतों के कुंभ में प्रवेश करना. साधु-संतों को शाही वेश में राजा-महाराजाओं की तरह हाथी, घोड़ों और रथों पर बिठाकर निकाला जाता है और रास्ते में श्रद्धालु उनका स्वागत और सम्मान करते हैं. श्री शंभू पंचदशनाम आवाहन अखाड़े के श्री महंत बटेश्वर भारती महाराज ने बताया कि वह अपनी सेना और परंपरा के साथ शहर में निकलते हैं.

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