पिछले कुछ महीनों से चर्चा में रहने वाली सरकारी टेलीकॉम कंपनी BSNL को लेकर एक नई रिपोर्ट सामने आई है। BSNL का रुख करने वाले लाखों यूजर्स अब अपनी पुरानी निजी टेलीकॉम कंपनियों में वापस लौट रहे हैं। जुलाई 2024 में, जब निजी टेलीकॉम कंपनियों ने अपने रिचार्ज प्लान्स की कीमतें बढ़ाईं, तो BSNL ने इस मौके का फायदा उठाया।
नई दिल्ली: पिछले कुछ महीनों से चर्चा में रहने वाली सरकारी टेलीकॉम कंपनी BSNL को लेकर एक नई रिपोर्ट सामने आई है। रिपोर्ट के अनुसार, सस्ते रिचार्ज प्लान्स के चलते BSNL का रुख करने वाले लाखों यूजर्स अब अपनी पुरानी निजी टेलीकॉम कंपनियों में वापस लौट रहे हैं। यह बदलाव मुख्य रूप से BSNL के खराब नेटवर्क और कनेक्टिविटी समस्याओं की वजह से हो रहा है।
जुलाई 2024 में, जब निजी टेलीकॉम कंपनियों ने अपने रिचार्ज प्लान्स की कीमतें बढ़ाईं, तो BSNL ने इस मौके का फायदा उठाया। BSNL के प्लान्स, जो निजी कंपनियों के मुकाबले 40-60% तक सस्ते थे, जिन्होंने लाखों यूजर्स को आकर्षित किया। TRAI की रिपोर्ट के मुताबिक, BSNL ने तीन महीनों में 55 लाख नए यूजर्स जोड़े, जिनमें से ज्यादातर ने मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी (MNP) के जरिए स्विच किया था।
हालांकि BSNL का सस्ता होना भी लंबे समय तक यूजर्स को रोकने में नाकाम साबित हुआ। खराब नेटवर्क और धीमी इंटरनेट स्पीड के चलते यूजर्स को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ा। IIFL सिक्योरिटीज की 6 दिसंबर को जारी रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण और छोटे शहरों में रहने वाले अधिकतर यूजर्स BSNL से वापस अपने पुराने ऑपरेटरों में लौट गए।
सरकार ने BSNL को रिवाइव करने के लिए इस साल 80,000 करोड़ रुपये का फंड जारी किया है। इसके तहत कंपनी ने 1 लाख नए 4G और 5G टावर लगाने का लक्ष्य रखा है, जिनमें से 50,000 से अधिक टावर लगाए जा चुके हैं। इसके बावजूद कनेक्टिविटी की समस्याएं बरकरार हैं, जिससे यूजर्स निराश हो रहे हैं। बता दें 2000 के दशक में BSNL के पास सबसे ज्यादा मोबाइल यूजर्स थे। लेकिन प्राइवेट ऑपरेटर्स के सुलभ कनेक्शन और उन्नत सेवाओं के चलते BSNL ने धीरे-धीरे अपना बाजार खो दिया। वहीं अब ख़राब नेटवर्क के कारण यूज़र्स वापस Jio और airtle पर लौटने के लिए मजबूर है.
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