पंचांग के अनुसार मोक्षदा एकादशी का व्रत मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से भक्त के धन में वृद्धि होती है।
नई दिल्ली : हर महीने के कृष्ण और शुक्ल पक्ष में एकादशी व्रत रखा जाता है, ये सभी भगवान विष्णु को समर्पित हैं। एकादशी का व्रत करने से भक्त को उसके कष्टों से मुक्ति मिलती है। हिंदू धर्म में सभी एकादशियों का अपना विशेष महत्व है, हालांकि मोक्षदा को इनमें सबसे खास माना जाता है। एकादशी व्रत के कुछ नियम भी हैं, जिनका पालन करना बहुत जरूरी है। वरना आपकी पूजा असफल हो सकती है। तो आइए जानते हैं मोक्षदा एकादशी के दिन क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए।
ध्यान रखने योग्य बाते
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मोक्षदा एकादशी के दिन सूर्य देव को जल चढ़ाने के बाद अपना व्रत आरंभ करें।
एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर नहाए।
विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करें।
एकादशी के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करें।
एकादशी के दिन श्री हरि विष्णु को पीले फूल, केला, नारियल, पंचामृत, तुलसी आदि अर्पित करें।
मोक्षदा एकादशी के दिन एकादशी कथा के साथ-साथ गीता का पाठ भी करें।
एकादशी व्रत के दिन संध्या पूजन और आरती के बाद ही फलाहार करें।
मोक्षदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु के मंत्रों को पढ़ें।
एकादशी के दिन सात्विक भोजन ही करें।
एकादशी व्रत के दिन तामसिक चीजों (प्याज, लहसुन, मांस-मदिरा) का न खाए।
एकादशी के दिन चावल और चावल से बनी चीजें खाना मना है।
दशमी तिथि के दिन से चावल और तामसिक चीजों का सेवन न करें।
एकादशी के दिन किसी को अपशब्द न कहें और किसी से वाद-विवाद न करें।
पूजा का मुहूर्त
पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की मोक्षदा एकादशी तिथि 11 दिसंबर 2024 को सुबह 3:42 बजे शुरू होगी और अगले दिन 12 दिसंबर 2024 को दोपहर 01:09 बजे समाप्त होगी।
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