मनी लॉन्ड्रिंग की आरोपी निलंबित आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल की जमानत याचिका पर शुक्रवार को ईडी कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान पूजा सिंघल की ओर से बहस पूरी हो गई है।
नई दिल्ली : झारखंड की निलंबित आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल को आखिरकार 28 महीने बाद जमानत मिल गई। धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) अदालत ने (आज) शनिवार को उनकी जमानत याचिका स्वीकार कर ली।
पिछली सुनवाई के दौरान जेल अधीक्षक ने कोर्ट को बताया था कि पूजा सिंघल 28 महीने से जेल में बंद हैं। ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल को 11 मई 2022 को पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया था।ईडी कोर्ट ने मामले में बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा होटवार के जेल अधीक्षक से रिपोर्ट मांगी थी। पूजा सिंघल ने नए कानून बीएनएस का हवाला देते हुए ईडी कोर्ट से जमानत की गुहार लगाई है, जिसमें जमानत के लिए बीएनएस की धारा 479 का हवाला दिया गया है।
बीएनएस की धारा 479 के तहत कोई भी आरोपी, जिसका पहला अपराध है और उस धारा के तहत अधिकतम सजा का एक तिहाई हिस्सा ट्रायल के तहत काट लिया गया है, तो वह आरोपी जमानत का हकदार होगा। पूजा सिंघल ने इस संबंध में जेल से ही नजरबंदी पत्र लिखा है। शुक्रवार को इस पूरे मामले में पूजा सिंघल का पक्ष रखा गया है। अब ईडी इस पर अपना पक्ष रखेगा। इसके बाद ही पूजा सिंघल की जमानत पर कोई फैसला लिया जा सकेगा।
पूजा सिंघल झारखंड की निलंबित आईएएस अधिकारी हैं।
निलंबन से पहले पूजा सिंघल के पास उद्योग सचिव और खान सचिव का प्रभार था।
पूजा सिंघल झारखंड राज्य खनिज विकास निगम (जेएसएमडीसी) की अध्यक्ष भी रह चुकी हैं।
भाजपा सरकार में पूजा सिंघल कृषि सचिव के पद पर तैनात थीं।
मनरेगा घोटाले के समय वह खूंटी में डीसी के पद पर तैनात थीं।
6 मई 2022 को ईडी ने पूजा सिंघल के ठिकानों पर छापेमारी की।
टीम डी मनरेगा घोटाले के साथ-साथ कई अन्य मामलों की जांच कर रही है।
ईडी की छापेमारी के दौरान पूजा सिंघल के घर से कई दस्तावेज और महत्वपूर्ण कागजात मिले थे।
11 मई 2022 को ईडी ने पूछताछ के बाद पूजा सिंघल को गिरफ्तार कर लिया, तब से वह जेल में है।
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