Mughal Haram: हरम के अंदर न सिर्फ बादशाह की बेगमें बल्कि रखैलें, दासियाँ, राजकुमारी, रिश्तेदार, जिन हिन्दू महिलाओं किया होता था, वो सब रहती थीं। हरम की बेगमों का मुख्य काम बादशाह की खिदमत करना होता था। मनोरंजन करके वो उनका मन बहलाया करती थीं। हरम में इतनी महिलाएं होती थी कि सबके साथ बादशाह संबंध नहीं बना पाते थे। महिलाएं यौन संतुष्टि के लिए तड़पती रहती थी।
Mughal Haram: अकबरनामा लिखने वाले अबुल फजल ने अपनी पुस्तक में मुग़ल हरम का जिक्र कर रखा है। उन्होंने लिखा है कि भारत में बाबर के आने के बाद हरम बनाने की शुरुआत की गई थी। अकबर के समय में हरम में करीब 5 हजार औरतें रहती थीं। यह एक ऐसी जगह होती थी, जहां पुरुषों का प्रवेश वर्जित था। औरतों की हिफाजत करने के लिए मुग़ल बादशाह किन्नर रखते थे।
हरम (Mughal Haram) के अंदर न सिर्फ बादशाह की बेगमें बल्कि रखैलें, दासियाँ, राजकुमारी, रिश्तेदार, जिन हिन्दू महिलाओं रखा होता था वो सब रहती थीं। हरम की बेगमों का मुख्य काम बादशाह की खिदमत करना होता था। मनोरंजन करके वो उनका मन बहलाया करती थीं। हरम में इतनी महिलाएं होती थी कि सबके साथ बादशाह संबंध नहीं बना पाते थे। महिलाएं यौन संतुष्टि के लिए तड़पती रहती थीं।
इतावली चिकित्सक मनूची ने अपनी पुस्तक मुग़ल इंडिया में हरम(Mughal Haram)से जुड़ी हुई कई बातों का उल्लेख किया है। वो एक चिकित्सक थे और उनके दारा शिकोह से अच्छे संबंध थे। उन्होंने अपने संस्मरण में लिखा है कि हरम में पुरुष तभी प्रवेश कर पाते थे जब कोई महिला बीमार हो। हरम में मौजूद महिलाओं को पति के अलावा किसी अन्य से मिलने की अनुमति नहीं थी।
ये महिलाएं जानबूझकर बीमार हो जाती थी। इसके बहाने कोई मर्द चिकित्सक देखने आता था। वह उनके नब्ज को टटोलता था। गैर मर्द के छुअन से वो महक उठती थीं। चिकित्सक और महिला के बीच में किन्नर पर्दा लगा देते थे। जैसे ही चिकित्सक परदे के अंदर हाथ डालता था तो महिलाएं हाथों को चूमने लगती थी। कभी काट खाती थी, कभी-कभी उनका हाथ लेकर अपने स्तन पर फेरने लगती थी। मनूची के साथ ऐसा कई बार किया गया।
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