ऑस्ट्रेलिया ने 16 साल से कम उम्र के बच्चों के सोशल मीडिया इस्तेमाल को लेकर बड़ा कदम उठाया है। नए कानून के तहत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एज-वेरिफिकेशन सिस्टम लागू करना होगा। किशोरों का कहना है कि सोशल मीडिया पर बैन लगाना समस्या का समाधान नहीं है.
नई दिल्ली: ऑस्ट्रेलिया ने 16 साल से कम उम्र के बच्चों के सोशल मीडिया इस्तेमाल को लेकर बड़ा कदम उठाया है। बुधवार को ऑस्ट्रेलियाई संसद में इस कानून को भारी बहुमत से पारित किया गया। प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज़ की सरकार द्वारा पेश किए गए इस बिल के पक्ष में 102 और विरोध में केवल 13 वोट पड़े।
नए कानून के तहत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एज-वेरिफिकेशन सिस्टम लागू करना होगा। जो कंपनियां इस नियम का पालन नहीं करेंगी, उन पर 49.5 मिलियन ऑस्ट्रेलियन डॉलर यानी लगभग 32 मिलियन अमेरिकी डॉलर का जुर्माना लगाया जा सकता है।
यह कदम तब उठाया गया जब संसद में बच्चों पर साइबर बुलिंग और इसके कारण उनकी मानसिक स्थिति पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर गंभीर चर्चा हुई। कई माता-पिता ने बताया कि साइबर बुलिंग के कारण उनके बच्चों ने आत्मघाती कदम उठाए। इसके बाद यह कानून बच्चों की डिजिटल सुरक्षा के लिए प्राथमिकता बन गया है।
जहां माता-पिता इस कानून का स्वागत कर रहे हैं. वहीं युवाओं के अधिकारों के समर्थकों का मानना है कि यह बच्चों की स्वतंत्रता को सीमित करने वाला कदम है। किशोरों का कहना है कि सोशल मीडिया पर बैन लगाना समस्या का समाधान नहीं है, बल्कि यह दोस्तों और परिवार से जुड़े रहने के उनके तरीकों को खत्म कर देगा।
कानून के अनुसार, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को बच्चों की उम्र वेरीफाई करने के लिए बायोमैट्रिक या सरकारी पहचान पत्र जैसी तकनीकों का उपयोग करना होगा। हालांकि सीनेट की एक समिति ने साफ किया है कि प्लेटफॉर्म को यूजर्स से पासपोर्ट या डिजिटल आईडी जैसी निजी जानकारी मांगने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। हालांकि यह कानून सोशल मीडिया पर दुनिया के सबसे सख्त नियमों में से एक माना जा रहा है। इसके जरिए ऑस्ट्रेलिया सरकार बच्चों की मानसिक और शारीरिक सुरक्षा सुनिश्चित करने का प्रयास कर रही है।
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