उदयपुर में बवाल! सड़क पर आई राजघराने की लड़ाई, सिटी पैलेस के बाहर पथराव, भारी पुलिस बल तैनात

देर रात जब विश्वराज सिंह के साथ बड़ी भीड़ सिटी पैलेस के गेट पर पहुंची तो वहां से पथराव शुरू हो गया। इसके बाद कुछ लोगों ने महल की दीवार फांदने का प्रयास किया तो सिटी पैलेस के अंदर मौजूद लोगों ने उन्हें तुरंत रोक दिया। इस दौरान विश्वराज सिंह और उनके समर्थक देर रात तक जगदीश चौक से सिटी पैलेस के बीच बैठे रहे।

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उदयपुर में बवाल! सड़क पर आई राजघराने की लड़ाई, सिटी पैलेस के बाहर पथराव, भारी पुलिस बल तैनात

Neha Singh

  • November 26, 2024 8:04 am Asia/KolkataIST, Updated 4 hours ago

उदयपुर: मेवाड़ के पूर्व राजघराने का विवाद सड़क पर आ गया है। देर रात जब विश्वराज सिंह के साथ बड़ी भीड़ सिटी पैलेस के गेट पर पहुंची तो वहां से पथराव शुरू हो गया। इसके बाद कुछ लोगों ने महल की दीवार फांदने का प्रयास किया तो सिटी पैलेस के अंदर मौजूद लोगों ने उन्हें तुरंत रोक दिया। इस दौरान विश्वराज सिंह और उनके समर्थक देर रात तक जगदीश चौक से सिटी पैलेस के बीच बैठे रहे।

दर्शन करने से रोका

महेंद्र सिंह मेवाड़ के निधन के बाद उनके बड़े बेटे विश्वराज सिंह के राज्याभिषेक को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। महेंद्र सिंह के भाई और विश्वराज के चाचा अरविंद सिंह मेवाड़ ने परंपरा के अनुसार राज्याभिषेक की रस्म को रोकने के लिए सिटी पैलेस के दरवाजे बंद कर दिए थे। इसके बाद चित्तौड़गढ़ में महाराणा की ताजपोशी के बाद जब विश्वराज सिंह उदयपुर सिटी पैलेस पहुंचे तो उन्होंने धूनी माता के दर्शन की इच्छा जताई। पुलिस ने हल्का बल प्रयोग किया, लेकिन स्थिति तनावपूर्ण बनी रही।

क्या है मामला?

अरविंद सिंह मेवाड़ सिटी पैलेस को नियंत्रित करते हैं, और उन्होंने विश्वराज सिंह को सिटी पैलेस में प्रवेश करने से रोकने के लिए दो नोटिस जारी किए थे। इन नोटिसों में यह स्पष्ट किया गया था कि ट्रस्ट के किसी भी अनधिकृत व्यक्ति को सिटी पैलेस में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। आपको बता दे अरविंद सिंह ट्रस्ट के ट्रस्टी हैं। विश्वराज सिंह को धूनी माता के दर्शन करने के लिए अंदर जाने की अनुमति दी गई थी, लेकिन उनके समर्थकों के वाहनों को पुलिस ने दरवाजे पर रोक दिया था। पुलिस दोनों पक्षों को शांत करने की कोशिश कर रही थी। महेंद्र सिंह मेवाड़ की मृत्यु के बाद मेवाड़ के राजपूत सामंतों ने रक्त से उनका राज्याभिषेक करके विश्वराज सिंह को नया महाराणा घोषित किया और उन्हें राजगद्दी पर बिठाया।

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