नोएडा में गोमांस तस्करी का एक बड़ा मामला सामने आया है, जिसने पूरे इलाके को हिलाकर रख दिया है. अधिकारियों ने पंडित पूरन जोशी के कोल्ड स्टोर से 153 टन गोमांस जब्त किया है. इसकी पुष्टि मथुरा की लैब में हुई, जिससे साफ हो गया कि यह मांस गाय का था. जांच एजेंसियों और स्थानीय प्रशासन की संयुक्त कार्रवाई में यह बड़ी बरामदगी हुई है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, स्टोर में भारी मात्रा में मांस रखा हुआ था।
नई दिल्ली: हाल ही में नोएडा में गोमांस तस्करी का एक बड़ा मामला सामने आया है, जिसने पूरे इलाके को हिलाकर रख दिया है. अधिकारियों ने पंडित पूरन जोशी के कोल्ड स्टोर से 153 टन गोमांस जब्त किया है. इसकी पुष्टि मथुरा की लैब में हुई, जिससे साफ हो गया कि यह मांस गाय का था.
जांच एजेंसियों और स्थानीय प्रशासन की संयुक्त कार्रवाई में यह बड़ी बरामदगी हुई है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, स्टोर में भारी मात्रा में मांस रखा हुआ था। गोवंश के होने की पुष्टि के बाद धार्मिक और सामाजिक संगठनों में भारी आक्रोश है। 153 टन मांस की मात्रा ने लोगों को चौंका दिया है.
विशेषज्ञों के मुताबिक इतनी बड़ी मात्रा में मांस पाने के लिए सैकड़ों से हजारों गायों की बलि दी गई होगी. यह न केवल कानूनी अपराध है बल्कि धार्मिक दृष्टि से भी गहरा आघात है। गोरक्षा और तस्करी रोकने को लेकर सख्त माने जाने वाले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मामले को गंभीरता से लिया है. उन्होंने जांच एजेंसियों को सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में दोषियों पर बड़ी कार्रवाई होगी. हालांकि यह घटना स्थानीय और क्षेत्रीय खबरों में सुर्खियां बन रही है, लेकिन राष्ट्रीय मीडिया में इसे अपेक्षित कवरेज नहीं मिली है. इसके चलते कई लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या ऐसी गंभीर घटनाओं को मुख्यधारा में जगह मिलनी चाहिए.
वहीं घटना के बाद विभिन्न धार्मिक और सामाजिक संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया. उनका कहना है कि इस तरह से गायों की हत्या करना धार्मिक भावनाओं का उल्लंघन है और इसे रोकने के लिए सख्त कानून लागू किया जाना चाहिए. यह घटना सिर्फ एक आपराधिक मामला नहीं है, बल्कि समाज और धर्म से जुड़े गहरे मुद्दों को उजागर करती है। 153 टन गोमांस के लिए कितनी गायों की हत्या की गई होगी इसका अंदाजा लगाना भी डरावना है. प्रशासन को इस मामले में न सिर्फ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए बल्कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम भी उठाना चाहिए.
ये भी पढ़ें: कांग्रेस-आरजेडी में आई दरार, अडानी के खिलाफ खोला मोर्चा, अब बिहार में पंजा या लालटेन!