बेवजह नई मांग मत लाओ, राहुल को हेमंत की दो टूक; झारखंड में डिप्टी CM पद देने से किया साफ इनकार

सीएम हेमंत सोरेन ने कांग्रेस को डिप्टी सीएम का पद देने से इनकार कर दिया है। सोरेन ने कांग्रेस को दो टूक कहा कि जैसी व्यवस्था थी, वैसे ही चलाओ। बेवजह नई मांग मत लाओ। हम जैसे थे, वैसे ही मजबूत रहेंगे। दरअसल, कहा जा रहा है कि कांग्रेस ने अपने वरिष्ठ नेता सुबोधकांत सहाय के जरिए डिप्टी सीएम पद के लिए आवाज उठाई थी।

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बेवजह नई मांग मत लाओ, राहुल को हेमंत की दो टूक; झारखंड में डिप्टी CM पद देने से किया साफ इनकार

Neha Singh

  • November 24, 2024 10:30 am Asia/KolkataIST, Updated 6 hours ago

नई दिल्लीः झारखंड विधानसभा चुनाव में रिकॉर्ड तोड़ जीत के बाद भी कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। सीएम हेमंत सोरेन ने कांग्रेस को डिप्टी सीएम का पद देने से इनकार कर दिया है। सोरेन ने कांग्रेस को दो टूक कहा कि जैसी व्यवस्था थी, वैसे ही चलाओ। बेवजह नई मांग मत लाओ। हम जैसे थे, वैसे ही मजबूत रहेंगे। दरअसल, कहा जा रहा है कि कांग्रेस ने अपने वरिष्ठ नेता सुबोधकांत सहाय के जरिए डिप्टी सीएम पद के लिए आवाज उठाई थी।

कैसे रहे नतीजे

आपको बता दें कि 23 नवंबर 2024 को हुए झारखंड विधानसभा चुनाव में जेएमएम के नेतृत्व वाले भारत गठबंधन ने बंपर जीत हासिल की है। इंडिया गठबंधन ने राज्य की 81 विधानसभा सीटों में से 56 पर जीत हासिल की है। इसमें से झारखंड मुक्ति मोर्चा 34 सीटों के साथ एक बार फिर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। गठबंधन सहयोगी कांग्रेस पार्टी को 16 सीटें मिली हैं। चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस में डिप्टी सीएम पद की मांग को लेकर चर्चा तेज हो गई थी।

दूसरी ओर, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को मात्र 26 सीटों से संतोष करना पड़ा, जिसमें भाजपा ने 21 सीटें जीतीं, जबकि उसके तीन सहयोगी आजसू पार्टी, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) और जनता दल (यूनाइटेड) को एक-एक सीट मिली। झारखंड में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जीत के लिए पूरी ताकत लगाई, लेकिन उसे सफलता नहीं मिली। भाजपा ने घुसपैठियों का मुद्दा भी उठाया, लेकिन जनता ने उसे सिरे से नकार दिया। हालात ऐसे हो गए कि 81 सीटों वाले इस राज्य में भाजपा को 21 सीटों से संतोष करना पड़ा।

क्या करेंगे राहुल

झारखंड चुनाव के नतीजे आने के बाद कांग्रेस पार्टी के अंदर इस बात की चर्चा होने लगी कि झारखंड में उसे डिप्टी सीएम का पद मिलना चाहिए। हालांकि, हेमंत सोरेन ने जहां आवाज उठी, उसे वहीं दबा दिया। अब देखना यह है कि कांग्रेस और झामुमो के बीच किस तरह का समझौता होता है और सरकार बनती है।

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