कोरियोग्राफर रेमो डिसूजा को SC से नहीं मिली राहत, केस हुआ ट्रांसफर

मशहूर कोरियोग्राफर रेमो डिसूजा को धोखाधड़ी के मामले में कोई राहत मिलती नहीं दिख रही है। सुप्रीम कोर्ट ने रेमो डिसूजा के खिलाफ चल रहे मुकदमे को गाजियाबाद से दिल्ली ट्रांसफर करने का आदेश दिया है।

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कोरियोग्राफर रेमो डिसूजा को SC से नहीं मिली राहत, केस हुआ ट्रांसफर

Manisha Shukla

  • November 22, 2024 7:56 pm Asia/KolkataIST, Updated 9 hours ago

नई दिल्ली : मशहूर कोरियोग्राफर रेमो डिसूजा को धोखाधड़ी के मामले में कोई राहत मिलती नहीं दिख रही है। सुप्रीम कोर्ट ने रेमो डिसूजा के खिलाफ चल रहे मुकदमे को गाजियाबाद से दिल्ली ट्रांसफर करने का आदेश दिया है। आदेश में कहा गया है कि केस को कड़कड़डूमा कोर्ट के सीएमएम को ट्रांसफर किया जाएगा। जस्टिस सूर्यकांत और उज्जल भुइयां की बेंच ने मामले की सुनवाई के बाद यह आदेश दिया है।

SC का दरवाजा खटखटाया

हाल ही में कोरियोग्राफर ने धोखाधड़ी के मामले को खारिज करवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। कोर्ट ने केस पर रोक लगाने की मांग को मानने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने रेमो की याचिका पर नोटिस भी जारी किया था।

FIR कब दर्ज हुई

दरअसल, रेमो डिसूजा ने धोखाधड़ी के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने मानने से इनकार कर दिया था। साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार से एक हफ्ते के अंदर जवाब मांगा था। गाजियाबाद के कारोबारी सत्येंद्र त्यागी ने कोरियोग्राफर रेमो डिसूजा के खिलाफ दिसंबर 2016 में एफआईआर दर्ज कराई थी।

अंडरवर्ल्ड डॉन से दिलवाई धमकी

शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि रेमो ने उन्हें अपनी फिल्म ‘अमर मस्ट डाई’ में 5 करोड़ रुपये निवेश करने का सुझाव दिया था। उन्होंने आरोप लगाया कि रेमो ने यह भी वादा किया था कि एक साल के भीतर उनके पैसे वापस कर दिए जाएंगे। हालांकि, एक साल बीत जाने के बाद भी उनके पैसे वापस नहीं किए गए। साथ ही शिकायतकर्ता ने कहा कि जब उन्होंने रेमो डिसूजा से अपने पैसे वापस मांगे तो उन्हें अंडरवर्ल्ड डॉन प्रसाद पुजारी ने धमकाया।

 

हर तरफ रेमो को मिली निराशा

पुलिस ने रेमो और प्रसाद पुजारी के खिलाफ आईपीसी की धारा (420), (406) और (386) के तहत चार्जशीट दाखिल की थी। ट्रायल कोर्ट ने रेमो को कोर्ट में पेश होने के लिए समन भी जारी किया था। हालांकि, रेमो ने अपने खिलाफ दर्ज मामले को रद्द करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने इसे खारिज कर दिया था। इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जहां से भी उन्हें निराशा हाथ लगी।

 

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