भारत ने पिछले महीने ऐलान किया था कि उसने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी पर पेट्रोलिंग को लेकर चीन के साथ समझौता कर लिया है, जिससे चार साल से ज्यादा समय से चल रहे सैन्य गतिरोध खत्म गया
नई दिल्ली: आपने देखा होगा कि पिछले कुछ हफ्तों में चीन का रुख भारत के प्रति नरम हुआ है. ऐसा लग रहा है मानो पड़ोसी देश भारत के साथ रिश्ते सुधारने के लिए बेताब है. वैसे तो इसकी कई कारण हो सकते है. लेकिन सबसे बड़ा कारण अमेरिका है. जी हां, अमेरिका-भारत स्ट्रेटेजिक एंड पार्टनरशिप फोरम के अध्यक्ष मुकेश अघी ने अंदर की कहानी बताई है. उन्होंने कहा कि चीन अब अमेरिका में बनने जा रही ट्रंप सरकार के दबाव को कम करने के लिए भारत के साथ रिश्ते सुधारने की कोशिश कर रहा है.
अमेरिका में हाल ही में हुए राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप जीत गए हैं और जनवरी में देश की कमान संभालेंगे. राष्ट्रपति चुनाव अभियान के दौरान, ट्रंप ने चीन से माल पर 60 प्रतिशत टैरिफ और हर दूसरे अमेरिकी आयात पर 20 प्रतिशत शुल्क का प्रस्ताव दिया था.
अघी ने कहा कि अमेरिका में ट्रंप प्रशासन के आने का असर है, जिसने चीन को भारत के साथ अच्छे रिश्ते बनाने के लिए मजबूर कर दिया है. इसी वजह से सीमा पर पेट्रोलिंग पर सहमति बनी है. ‘सीधी उड़ानों पर सहमति बन गई है. उन्होंने कहा कि वह भारत आने वाले चीनी लोगों के लिए ज्यादा वीजा जारी करेंगे. आप देख सकते हैं कि ट्रम्प की जीत का भारत-चीन संबंधों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है.
भारत ने पिछले महीने ऐलान किया था कि उसने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी पर पेट्रोलिंग को लेकर चीन के साथ समझौता कर लिया है, जिससे चार साल से ज्यादा समय से चल रहे सैन्य गतिरोध खत्म गया. अघी ने कहा, चीन ये सोच रहा है कि ट्रंप वापस आ रहे हैं. अमेरिका के साथ रिश्ते वैसे ही तनावपूर्ण हो जाएंगे. तो कई मोर्चों पर तनाव क्यों बनाए रखें. कम से कम भारत के साथ साझेदारी और रिश्ते को आसान बना लिया जाए.
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