नई दिल्ली: लिव-इन और रिलेशनशिप ऐसे शब्द हैं जो आजकल नॉर्मल भाषा में आ गए हैं और इस शब्द का मतलब हर कोई समझता है. लेकिन अब एक शब्द ट्रेंड में है जिसका नाम है ‘सिचुएशनशिप’ जो युवाओं के बीच काफी ट्रेंड हो गया है. सिचुएशनशिप में दो लोग रोमांटिक या फिजिकल रिश्ते में होते […]
नई दिल्ली: लिव-इन और रिलेशनशिप ऐसे शब्द हैं जो आजकल नॉर्मल भाषा में आ गए हैं और इस शब्द का मतलब हर कोई समझता है. लेकिन अब एक शब्द ट्रेंड में है जिसका नाम है ‘सिचुएशनशिप’ जो युवाओं के बीच काफी ट्रेंड हो गया है. सिचुएशनशिप में दो लोग रोमांटिक या फिजिकल रिश्ते में होते हैं, लेकिन इसका स्पष्ट रूप से नाम नहीं दिया जाता है. यह डेटिंग, Friends With Benefits जैसा है. इसमें कोई कमिटमेंट जैसी स्थिति नहीं होती है.
सिचुएशनशिप अक्सर उन लोगों के बीच मौजूद होती है जो डेटिंग कर रहे हैं लेकिन एक ठोस रिश्ते का लेबल लगाने के लिए तैयार नहीं हैं. यह कभी-कभी निश्चित और कॉम्प्लेक्स नहीं हो सकता है, क्योंकि इसमें भावनात्मक जुड़ाव और क्लियर बाउंड्रीज हो सकती हैं. यदि दोनों लोग इस बारे में सहमत हैं और समान एक्सपेक्टेशन रखते हैं, तो यह एक स्वस्थ रिश्ता हो सकता है. लेकिन जब एक पक्ष इसे बहुत गंभीरता से लेता है या कोई नहीं लेता है, तो यह भ्रम और दर्द पैदा कर सकता है. इस रिश्ते में कोई सीमा नहीं है और न कोई सहमति, दोनों पक्षों को स्पष्ट रूप से पता है कि वे इस रिश्ते में क्या चाहते हैं और क्या नहीं चाहते हैं. इसलिए ये रिश्ता किसी पर बोझ नहीं बनता.
आजकल, खासकर मिलेनियल्स और जेन जेड के बीच, यह डेटिंग का एक आम तरीका बन गया है. इसकी बढ़ती लोकप्रियता के पीछे कई कारण हैं.
1. कमिटमेंट से बचना- अधिकतर लोग कमिटमेंट से बचना चाहते हैं. लेकिन वे एक Healthy Relationship भी चाहते हैं.
2. डेटिंग ऐप्स का प्रभाव: डेटिंग ऐप्स ने लोगों के लिए विकल्प बढ़ा दिए हैं, जिससे सिचुएशनशिप बनाना आसान हो गया है.
3. करियर और लाइफस्टाइल पर ध्यान दें: लाइफस्टाइल और करियर priorities के कारण बहुत से लोग गंभीर रिश्तों में बंधना नहीं चाहते.
1. क्लेरिटी की कमी
2. कमिटमेंट की कमी
3. ओपन कम्युनिकेशन की आजादी
4. कोई बंधन महसूस नहीं होना
5. रिश्ते की कोई सीमाएं तय नहीं होती है
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