3 डी मैप के पीछे का क्या है राज़, जो सिर्फ़ जनता है भारतीय रेलवे

नई दिल्ली: LiDAR (लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग) एक अत्याधुनिक तकनीक है, जो लेजर बीम की मदद से किसी वस्तु की सटीक दूरी और उसकी संरचना का आकलन करती है। इस तकनीक का उपयोग वस्तुओं की पहचान, मैपिंग और 3D मॉडल तैयार करने के लिए किया जाता है। अब भारतीय रेलवे में भी LiDAR तकनीक का […]

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3 डी मैप के पीछे का क्या है राज़, जो सिर्फ़ जनता है भारतीय रेलवे

Yashika Jandwani

  • November 10, 2024 10:03 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 weeks ago

नई दिल्ली: LiDAR (लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग) एक अत्याधुनिक तकनीक है, जो लेजर बीम की मदद से किसी वस्तु की सटीक दूरी और उसकी संरचना का आकलन करती है। इस तकनीक का उपयोग वस्तुओं की पहचान, मैपिंग और 3D मॉडल तैयार करने के लिए किया जाता है। अब भारतीय रेलवे में भी LiDAR तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे ट्रैक सर्वे, इंफ्रास्ट्रक्चर की निगरानी और मैपिंग के कार्यों में सुधार हो रहा है।

LiDAR सिस्टम कैसे काम करता है?

LiDAR सिस्टम में लेजर से प्रकाश की किरणें निकलती हैं, जो किसी वस्तु से टकराकर वापस सेंसर तक पहुंचती हैं। इस टकराव और लौटने में जितना समय लगता है, उससे वस्तु की सटीक दूरी का पता लगाया जाता है। इससे हाई रिजोल्यूशन और विस्तृत 3D मैप तैयार किया जाता है, जो संरचना की गहरी जानकारी प्रदान करता है।

रेलवे में LiDAR का उपयोग और इसके फायदे

भारतीय रेलवे में LiDAR तकनीक का उपयोग रेलवे ट्रैक और उसके आस-पास के इलाकों की सटीक जानकारी प्राप्त करने के लिए किया जा रहा है। इस तकनीक के जरिए रेलवे ट्रैक, पुल, सुरंग और अन्य संरचनाओं का विस्तृत 3D नक्शा तैयार किया जा सकता है. इससे निर्माण और रखरखाव के कार्यों में आसानी होती है।

LiDAR तकनीक के माध्यम से रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर की वास्तविक स्थिति का आकलन किया जा सकता है. इतना ही नहीं इससे किसी भी तरह की टूट-फूट या अन्य समस्या की पहचान समय पर की जा सकती है। इसके अलावा यह तकनीक रेलवे ट्रैक पर खराबी, ब्लॉकेज या टूटी पटरीयों की जानकारी भी कंट्रोल रूम तक पहुंचाती है, जिससे हादसों पर काबू पाया जा सकता है।

रेलवे हादसों हो सकते है कम

इसके अलावा LiDAR से प्राप्त डेटा के जरिए प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव को भी कम किया जा सकता है, क्योंकि यह तकनीक इलाके का सटीक आकलन करने में मदद करती है और जोखिम वाली जगहों की पहचान कर सकती है। इस तकनीक के जरिए रेलवे नेटवर्क में सुरक्षा और सटीकता में जबरदस्त सुधार हो सकता है, जिससे ट्रेनों में होने वाली दुर्घटनाओं को कम किया जा सकेगा।

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