नई दिल्ली: आज के दौर में जहां अक्सर धार्मिक विभाजन की बातें सुनाई देती हैं, वहीं शिमोगा जिले के होसनगर तालुक के अरसालु गांव के एक युवक ने भाईचारे की मिसाल पेश करते हुए सांप्रदायिक सौहार्द का एक प्रेरणादायक उदाहरण स्थापित किया है। 25 वर्षीय तन्नु, जो मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखते हैं, पिछले 5 […]
नई दिल्ली: आज के दौर में जहां अक्सर धार्मिक विभाजन की बातें सुनाई देती हैं, वहीं शिमोगा जिले के होसनगर तालुक के अरसालु गांव के एक युवक ने भाईचारे की मिसाल पेश करते हुए सांप्रदायिक सौहार्द का एक प्रेरणादायक उदाहरण स्थापित किया है। 25 वर्षीय तन्नु, जो मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखते हैं, पिछले 5 वर्षों से अपने घर में पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ लक्ष्मी पूजा का आयोजन कर रहे हैं।
तन्नु का कहना है कि बचपन से ही उनके हिंदू दोस्तों और पड़ोसियों से प्रभावित होकर उन्होंने पहली बार लक्ष्मी पूजा में हिस्सा लिया। धीरे-धीरे उन्होंने महसूस किया कि पूजा का उद्देश्य केवल किसी विशेष समुदाय के लिए नहीं है, बल्कि यह समृद्धि और सुख-शांति की कामना का प्रतीक है। इसी सोच ने उन्हें प्रेरित किया कि वे अपने घर पर भी इसी तरह की पूजा शुरू करें। खास बात यह है कि एक मुस्लिम युवक और उसके दोस्तों ने हिंदू परंपरा के अनुसार लक्ष्मी पूजा की। तन्नु ने विनायक सर्कल में अपने मोबाइल की दुकान (तन्वी मोबाइल वर्ल्ड) में फल तथा मेवे चढ़ाकर हर साल हिंदू परंपरा के अनुसार पूजा की, जो पुजारी कोडुरु प्रमोदा जोइस द्वारा की जाती है।
तन्नु के इस कदम को शिमोगा के समाजसेवी और विभिन्न समुदायों के नेता भी सराह रहे हैं। स्थानीय धार्मिक नेता कहते हैं, “तन्नु जैसे लोग समाज में भाईचारे का संदेश फैलाने में मदद करते हैं। उनका यह कार्य हमें याद दिलाता है कि सभी धर्मों का मूल उद्देश्य प्रेम और मानवता है।”तन्नु मानते हैं कि अगर सभी लोग प्रेम और सौहार्द का संदेश फैलाने के लिए छोटे-छोटे कदम उठाएं, तो समाज में एक सकारात्मक बदलाव आ सकता है। तन्नु लगातार 5 वर्षों से इसी पद्धति से लक्ष्मी पूजा का आयोजन कर रहा है। इसी प्रकार हिंदू परंपराओं के अनुसार पूजा पुजारी द्वारा की जाती है।
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