लखनऊ: उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा उपचुनाव को लेकर राजनीतिक माहौल गरम है। वहीं इसी बीच चुनाव प्रचार के दौरान पोस्टर वॉर पार्टी के बीच पोस्टर वॉर छिड़ गया है। सभी प्रमुख दल अपने ये भी पढ़ें: कार्यकर्ताओं और मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए नए नारों के जरिए संदेश देने की कोशिश कर रहे […]
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा उपचुनाव को लेकर राजनीतिक माहौल गरम है। वहीं इसी बीच चुनाव प्रचार के दौरान पोस्टर वॉर पार्टी के बीच पोस्टर वॉर छिड़ गया है। सभी प्रमुख दल अपने ये भी पढ़ें: कार्यकर्ताओं और मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए नए नारों के जरिए संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं। बीजेपी ने ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ नारे को प्रचार का हिस्सा बनाया, जिसे खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंच से शेयर किया। इस नारे के जरिए बीजेपी ने जातिगत विभाजन से बचने और एकता का संदेश देने का प्रयास किया है।
वहीं समाजवादी पार्टी ने इसके जवाब में जुड़ेंगे तो जीतेंगे का नारा देकर सियासी मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है। इस नारे का प्रचार लखनऊ के राजभवन चौराहे से लेकर समाजवादी पार्टी कार्यालय तक के रास्ते पर पोस्टरों में देखने को मिला, जिन्हें सपा नेता विजय प्रताप यादव ने लगवाया। वहीं सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने ‘जुड़ेंगे तो जीतेंगे’ नारे का समर्थन करते हुए इसे सकारात्मक राजनीति बताया और कहा कि “नजरिया जैसा, नारा वैसा”।
जिनका नज़रिया जैसा, उनका नारा वैसा!#जुडेंगे_तो_जीतेंगे#सकारात्मक_राजनीति https://t.co/0fKPWTRwbX
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) November 1, 2024
सपा का यह नारा पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक वर्ग की एकजुटता को लक्ष्य करता है। सपा का मानना है कि यदि ये वर्ग एकजुट हो जाते हैं, तो 2027 में सत्ता परिवर्तन संभव है। दूसरी तरफ, बीजेपी का मानना है कि समाज के सभी वर्ग साथ रहें और जातिगत मतभेदों को छोड़कर एकजुटता का रास्ता अपनाए।
सियासी हलकों में इन नारों ने यूपी की राजनीति को नया मोड़ दे दिया है। बीजेपी और सपा के नारे यूपी के उपचुनाव से लेकर 2027 के विधानसभा चुनाव तक पर असर डाल सकते हैं। वहीं कांग्रेस भी इस पोस्टर वॉर में पीछे नहीं है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि “कहीं कोई बांट नहीं रहा है, ये काम खासकर बीजेपी का है।” वहीं कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने आरोप लगाया कि बीजेपी चुनावों के दौरान सांप्रदायिकता को भड़काने की कोशिश करती है। उनका कहना है कि बीजेपी के नेताओं के बयान हिंदू-मुस्लिम विभाजन की ओर इशारा करते हैं, जो कि मुख्यमंत्री जैसे पद की गरिमा के अनुरूप नहीं हैं।
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