नई दिल्ली: दिवाली का त्योहार हमारे देश में सबसे बड़े और महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह न केवल रोशनी और खुशियों का प्रतीक है, बल्कि इस दिन मां लक्ष्मी की विशेष पूजा भी की जाती है। मान्यता है कि दिवाली पर मां लक्ष्मी को मीठे खिलौनों का भोग अर्पित करने से वे प्रसन्न […]
नई दिल्ली: दिवाली का त्योहार हमारे देश में सबसे बड़े और महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह न केवल रोशनी और खुशियों का प्रतीक है, बल्कि इस दिन मां लक्ष्मी की विशेष पूजा भी की जाती है। मान्यता है कि दिवाली पर मां लक्ष्मी को मीठे खिलौनों का भोग अर्पित करने से वे प्रसन्न होती हैं और घर में धन-धान्य की वर्षा करती हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, दिवाली की रात मां लक्ष्मी पृथ्वी पर आती हैं और वे उन घरों में वास करती हैं जहां शुद्ध मन से पूजा और साफ-सफाई होती है। मां लक्ष्मी को मीठे खिलौनों का भोग विशेष रूप से अर्पित करने का चलन इसलिए है क्योंकि यह मिठास और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इन मीठे खिलौनों को मुख्य रूप से गुड़ और आटे से बनाया जाता है, जो कि शुभता और पवित्रता के प्रतीक माने जाते हैं।
मीठे खिलौनों का भोग केवल एक परंपरा नहीं है, बल्कि इसके पीछे हमारी संस्कृति और धार्मिक आस्थाएं भी हैं। प्राचीन काल से देवी-देवताओं को विभिन्न प्रकार के भोग अर्पित किए जाते रहे हैं, और प्रत्येक भोग का एक विशेष महत्व होता है। मिठास से भरे इन खिलौनों का भोग अर्पित करना, यह दर्शाता है कि हम अपने मन और घर को शुद्ध कर देवी लक्ष्मी को आमंत्रित कर रहे हैं।
दिवाली के दिन, जब आप मां लक्ष्मी को इन मीठे खिलौनों का भोग अर्पित करते हैं, तो यह आपके परिवार के लिए एक नई और सकारात्मक शुरुआत का प्रतीक बनता है। यह परंपरा आने वाली पीढ़ियों को भी सिखाती है कि हमारे रीति-रिवाज और धार्मिक मान्यताएं हमारी संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और हमें उन्हें आगे बढ़ाना चाहिए।
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