नई दिल्ली: धनतेरस का पर्व दिवाली से ठीक दो दिन पहले आता है और इसे बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन भगवान धन्वंतरि और भगवान कुबेर की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन कुछ खास उपाय करने से भगवान कुबेर की कृपा बनी रहती है, जिससे घर में धन और संपत्ति की वृद्धि […]
नई दिल्ली: धनतेरस का पर्व दिवाली से ठीक दो दिन पहले आता है और इसे बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन भगवान धन्वंतरि और भगवान कुबेर की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन कुछ खास उपाय करने से भगवान कुबेर की कृपा बनी रहती है, जिससे घर में धन और संपत्ति की वृद्धि होती है।
धनतेरस को “धन त्रयोदशी” के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान इस दिन भगवान धन्वन्तरि अमृत कलश के साथ प्रकट हुए थे। इसलिए, इस दिन धन्वंतरि और धन के देवता कुबेर की पूजा की जाती है। इस शुभ मुहूर्त में कुछ विशेष चीजें खरीदना भी लाभकारी माना जाता है, जैसे सोना, चांदी, बर्तन या नए कपड़े।
1. सफाई का महत्व: धनतेरस के दिन सुबह घर की सफाई करना शुभ माना जाता है। ऐसा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है और नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है।
2. दीप जलाएं: धनतेरस की शाम को घर के मुख्य द्वार पर दीया जलाना चाहिए। कहा जाता है कि ऐसा करने से लक्ष्मी जी और कुबेर देवता का आगमन होता है, और परिवार में धन-धान्य की कमी नहीं होती।
3. चांदी खरीदें: इस दिन चांदी का सिक्का या कोई चांदी की वस्तु खरीदने का प्रचलन है। चांदी को समृद्धि और शुद्धता का प्रतीक माना गया है। इसे घर में रखना कुबेर जी की कृपा पाने का एक उपाय है।
4. गणेश-लक्ष्मी की मूर्ति: धनतेरस पर गणेश जी और लक्ष्मी जी की मूर्ति खरीदना और उनकी पूजा करना शुभ माना जाता है। इससे घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।
5. धन्वंतरि पूजा: भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेद के देवता और स्वास्थ्य का रक्षक माना गया है। उनकी पूजा करने से न केवल स्वास्थ्य लाभ मिलता है बल्कि घर में धन का आगमन भी होता है।
6. धन का दान: इस दिन किसी गरीब या जरूरतमंद को धन, भोजन या कपड़े का दान करना चाहिए। यह माना जाता है कि ऐसा करने से भगवान कुबेर प्रसन्न होते हैं और धन की कमी नहीं होती।
धनतेरस पर कुछ लोग यम दीपदान भी करते हैं, जो उनके पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए होता है। इसे “यमराज के लिए दीपदान” कहा जाता है और माना जाता है कि इससे परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। धनतेरस पर साफ-सफाई और पूजा-पाठ के साथ सकारात्मक विचार रखना भी आवश्यक है। इस दिन किसी से भी नकारात्मक बातें न करें और ईर्ष्या, क्रोध से बचें।
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